उनके पास खाना पका और खा लेने जितने बर्तन थे
अतिथि के आने पर पड़ोसी के बर्तन भी घर आ जाते !
जब उनके घर की छत पर बूंदें राज करती
तब बारिशें भी घर को मेजबानी के लिए उकसाती !
बीज – खाद – पानी – सुरक्षा
हर साल कोई दो ही उनके खेत के भाग्य में रहे
वे अँधेरी रात दौड़ते और भोर तक खेत की मेड़ बनाते
तब उनके घर पर स्त्रियाँ
दहलीज के अंदर -बाहर होती रहती !
वे सूत कातते थे और देखते रहते अपने बच्चों को
सिर झुकाए बड़ा होते उनके सूत उलझ जाते थे
अक्सर लपेटते-लपेटते भविष्य की तह को खोजते !
सुलझे खिले गट्ठरों से मिल मालिक
छांट लेता था अपना असल
और वे अलग –थलग पड़े गट्ठरों के साथ
सुलझाते थे अपना जीवन !
अपने से बड़ी उम्र वाले से ब्याही गई उनकी बेटियां
चली जाती थी ख़ुशी से ससुराल
और कई सावन प्रतीक्षा करती रहती उनके बुलावे की !
उनके आदर्श गाँव में नये नये आये
विकास खंड अधिकारी सरपंच की तत्परता से
वास्तविकता से रूबरू होकर,
अनुदान राशि बढ़ाने हेतु चिट्ठी लिखते सरकार को
चूँकि चलती रहनी चाहिए कुएँ की जगत पर प्यास की जुगत !!
कविताएँ
कुएं की जगत पर प्यास की जुगत
आज का विचार
द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।
आज का शब्द
द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।