हमने उनसे युद्घ में काम लिया
और प्यार में भी
वे हमारी देह में सहेजे हुए
आदिम बर्बरता के स्मृतिचिन्ह हैं
वे मृतक हैं
जो हमारे भीतर जीवित हैं निरन्तर
यातना की अकथ कथाएं
उनमें और उनसे दर्ज हैं
उनकी जड़ों में उगते हुए
आधे चन्द्रमा की तरह
सभ्यता का तकाज़ा है
कि हम उन्हें लगातार तराशते रहें
और इतना भी न तराश दें
कि उनका उपयोग असम्भव हो जाये
हममें से कौन नहीं जानता
कि उनकी ज़्यादा तराश के खिलाफ
किस तरह
उंगली दिन भर शिकायत करती है हमसे।