सोचता हूँ
न होतीं अगर खडी ये
सम्बंधों की दीवारें मेरी हिमायत में
तो झड चुके होते तमाम सम्बोधन कभी के
ढह चुका होता कब का घर बावजूद मजबूत नींवों के
मिस्सर जी बताएं आप ही
चढ लेते ही बिटिया के डिब्बा में
क्यों हो जाती है रेल की रेल अपनी सी
कैसा तो डूब लेता है रोआं रोआं प्रार्थनाओं के सुरक्षा कवच में
अरे भाई बैठे तो होंगे न तनिक कभी रूख की छांह में
खास कर पसीना पसीना हो चुकी राह को निचोडते
स्वार्थ कहूं तो क्या भूल पाए कभी छांह बिरच्छ( वृक्ष) को?
नहीं जानता कौन रचता है ये सम्बंध
पर होते हैं बहुत खूबसूरत
अच्छी भूख से
ध्यान कर रामेश्वर सेतु का
मिल कर करें प्रार्थना
कि एक पुल बना रहे
हमारे सम्बंधों के बीच सदा
एक आंसू जब गिरता है टूट कर आंख से
जरूर तलाशता है एक जमीन अपनी
बेरुखा होकर भी
चाहे वह हथेली ही क्यों न हो किसी की
जिसे अपना होते देर नहीं लगती
मिस्सर जी बताएं आप ही
जुडता तो कांच का गिलास भी नहीं टूटकर
पर गिरते हैं जब हम
एक दूसरे के सम्बंधों की आंख से
तो जुड भी पाते हैं कभी मुडक़र
ये सम्बंध ही हैं न जो नहीं थकते कभी रुकाली पर
ये सम्बंध ही हैं न जो लबालब भरा रखते हैं सूखती नहारों तक को
सपनों के आब से
ये सम्बंध ही हैं न जो भूतों और आत्माओं तक का करते हैं सृजन
ये सम्बंध ही हैं न जिन्होंने पुजवाया है नदियों, पहाडों और समुद्रों को
प्राण दिये जिन्होंने पत्थरों, शिलाओं को
ये सम्बंध ही हैं न जिन्होंने बंधवाई है बरगद की शाखाओं पर गांठें
चढवाए हैं जनेऊ पीपल पर
मिस्सर जी बताएं जरा आप ही
कौन हैं हम और आप ही
चोट हमें लगती है और दर्द आपको
यह ससुर सम्बंध नहीं तो और क्या है मिस्सर जी?
कविताएँ
सम्बंध
आज का विचार
द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।
आज का शब्द
द्विशाखित होना The river bifurcates up ahead into two narrow stream. नदी आगे चलकर दो संकीर्ण धाराओं में द्विशाखित हो जाती है।
बहुत सुंदर रचना।बधाई सर
आभार