आज उस कैक्टस के पास
वह तितली नहीं आई
कल जो भटका था
आज फिर दिशाभ्रमित हो
ये किसने कहा है?
उस बबूल के पेड़ से
विश्वास की चपल गिलहरियां भाग गई
शक के गिरगिट चढ़ आऐ थे!
अब भूल कर भी वह अबाबील
उस पुराने खण्डहर में घोंसला नहीं बनाऐगी
मातृत्व को डंसने वाले विषधर को
कैसे भूल जाती वो?
बरगद पर अमरबेल चढ़ गई है
आज बरगद निर्लिप्त है
उस पर तो हजारों परजीवियों का आश्रय है
पर कल?
जब बरगद उसके पीले गुंजलो में घिर जाऐगा?
प्रकृति में चलता रहा है
घात–प्रतिघात का ये खेल।
हम तो सामाजिक प्राणी हैं
फिर भी
अलग कहां‚
इस प्राकृतिक घात–प्रतिघात से?
कविताएँ
शक के गिरगिट
आज का विचार
मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।
आज का शब्द
मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।