बचपन में जब भी
खेल खेल में
कोई घाव लेकर लौटती थी मैं
मां कहती थी‚
” ये क्या तोता पाल लिया “
मां‚
मैं ने फिर जाने अनजाने
टीसता‚ चीखता‚ दुखी करता
एकतरफा प्यार का
एक तोता पाल लिया है
पहले से घायल उंगली को
इसके आगे कर देने में एक मज़ा है‚
भरते ज़ख्मों पर तीखी चोंच
और फिर हरे होते ज़ख्म का मज़ा
इस दर्द में
आग की गीली गीली लपटे हैं
हरी नीली लाल लपटें
जो लगातार जलाती हैं
एक नन्हे से सुख की चाह में
पाले हुए बड़े दुख से उठती लपटें
ये सुख भी कुछ नहीं
छोटी गुर्राहटों में धमकाती
पैंतरे बदलती एक बिल्ली है‚
और प्यार
दुनिया का सबसे बड़ा तिलिस्म
ना जाने कब हरी भरी घास से
रेत में ला पटकता है।
कविताएँ
तोता
आज का विचार
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
आज का शब्द
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।