तुमसे मिले बिना, इतनी लम्बी राह चली
सड़क का परला सिरा दिखने लगा।
इस लम्बी अवधि में
जीती रही
ऐसे
जैसे कभी-कभी बिना धूप
फूल खिल लेता है
जैसे कभी-कभी
बिना नग, कोई
अंगूठी पहन लेता है।
कविताएँ
तुम्हारे बिना
आज का विचार
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।
आज का शब्द
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।