हवा का ठिठक कर रुकना
पेडों का स्तब्ध हो जाना
चुपचाप पीले पत्तों का गिरना
इस सबमें भी वही एक सख्त बात है।
वही निर्मम रिश्ता
जो हमारे बीच होकर भी
बह नहीं पाता
हवा और पेड़ तो
फिर भी
चट्टानों के बीच होकर
गुजर जाते हैं
किन्तु
पानी से भी विरल
इस रिश्ते के नाम पर
हमेशा
प्रश्न चिन्ह खड़े हो जाते हैं।
कविताएँ
विरल
आज का विचार
ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार हैं।
आज का शब्द
ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार हैं।