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अर्चना शर्मा
परिचय
अपना छोटा सा परिचय देना चाहती हूं ताकि आप मझे मेरी गलतियों पर अभयदान दे
सके। अब तक की शिक्षा से मे एक गायनेकोलॉजिस्ट थी किन्तु अपने स्वास्थ्य
समस्याओं के कारणों से अब नहीं हूं। सो मै हिंदी का एकेडमिक विद्यार्थी नहीं
हूं। यह लिख भेजने की वजह रिल्के के शब्दों में देती हूं
"विधि का निर्णय
स्वीकार करो इसका बोझ और भव्यता बर्दाश करो।"मेरा ज्ञान सीमित है किन्तु एक
बोध भी है।बोध जो सीमाओं में अटता नहीं यह एक पेड़ की तरह है जो रोज थोड़ा
बढ़ता है रोज थोड़ा झरता है। मै जानती हूं मेरा लिखा प्रकाशन योग्य नहीं है
किन्तु नियति के इस बोझ के प्रति कृतज्ञ हो आश्वस्त अवश्य हूं कि इसे पढ कर
अपके समय और ऊर्जा का क्षरण नहीं होगा। मेरा प्रथम प्रयास है।नियति मेरे
हाथो में कलम पकड़ा भीतर शब्द बिखेर देती है।यह लिख भेजते हुए एक संकोच
जिसमे असजता और अनदेखा भय दोनों ही शामिल है। (आदिका)
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