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राजस्थान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर के माडपुरा गांव में 1 अगस्त, 1948 को जन्मे नंद भारद्वाज राजस्थानी और हिन्दी के चर्चित कवि, कथाकार, समीक्षक और संस्कृतिकर्मी के रूप में सुपरिचित। पत्रकारिता, आकाशवाणी और दूरदर्शन में सम्पादन, लेखन, कार्यक्रम निर्माण और प्रशासन के क्षेत्र में सैंतीस वर्षों का कार्य-अनुभव।
प्रकाशन: राजस्थानी में अंधार पख (कविता संग्रह), दौर अर दायरौ (आलोचना), सांम्ही खुलतौ मारग (उपन्यास) * हिन्दी में झील पर हावी रात (कविता संग्रह), संवाद निरन्तर (संवाद संग्रह), और साहित्य परम्परा और नया रचनाकर्म (आलोचना), हरी दूब का सपना (कविता संग्रह), संस्कृति जनसंचार और बाजार (मीडिया केन्द्रित निबंधों का संग्रह) और कवि लच्छीराम कृत करण-कथा का पाठ-संपादन और विवेचन (शोध-ग्रंथ) प्रकाशित। सम्पादन: सन् 1971-72 में जोधपुर से प्रकाशित दैनिक जलते दीप का संपादन। सन् 1972 से 1975 तक राजस्थानी साहित्यिक पत्रिका हरावळ का संपादन। राजस्थान साहित्य अकादमी से प्रकाशित राजस्थान के कवि श्रृंखला के तीसरे भाग रेत पर नंगे पांव का संपादन, और वर्ष 2007 में नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया, नई दिल्ली से स्वतंत्रता के बाद की राजस्थानी कहाणियां के संकलन तीन बीसी पार का संपादन । सम्मान: राजस्थानी ग्रेजुएट्स नेशनल सर्विस एसोसिएशन, मुंबई द्वारा अंधार पख को श्रेष्ठ कृति पुरस्कार,(1975) राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर द्वारा दौर अर दायरौ के लिए नरोत्तमदास स्वामी गद्य पुरस्कार (1984) द्वारिका सेवा निधि ट्रस्ट, जयपुर द्वारा पं. ब्रजमोहन जोशी गद्य पुरस्कार (1995) मारवाड़ी सम्मेलन, मुंबई द्वारा सांम्ही खुलतौ मारग पर सर्वोत्तम साहित्य पुरस्कार (2003) Ϋ दूरदर्शन महानिदेशालय द्वारा शरतीय भाषाओं की कालजयी कथाओं पर कार्यक्रम श्रृंखला के निर्माण में उल्लेखनीय योगदान के लिए विशिष्ट सेवा पुरस्कार, (2003) सांम्ही खुलतौ मारग पर केन्द्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार (2004) संबोधन संस्थान, कांकरोली द्वारा हरी दूब का सपना पर आचार्य निरंजननाथ साहित्य पुरस्कार (2005) और के.के. बिड़ला फाउंडेशन का बिहारी पुरस्कार-2008 काव्य-कृति हरी दूब का सपना पर। सम्प्रति : दूरदर्शन केन्द्र जयपुर के वरिष्ठ निदेशक पद से सेवा-निवृत्त। ठिकाणौ: 71/247, मध्यम मार्ग, मानसरोवर , जयपुर 302020। Email : nandbhardwaj@gmail.com
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laoK kivataeM khanaI
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