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मिसाइलमैन : अब्दुल कलाम

राष्ट्रपति पद के लिये जब डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का नाम प्रस्ताव में आया था तब लालू जैसे कई नेताओं ने ऐसा कुछ कह कर मुखालफत की थी कि‚ उन्हें राजनैतिक ज्ञान नहीं या वे राजनीति के क्षेत्र में सही पात्र नहीं हैं। जबकि यह एक बेहद अच्छी शुरुआत है‚ घाघ राजनीतिज्ञों के समूह से ऊपर उठ कर भारत में राष्ट्रपति पद के लिये एक बेहद संवेदन शील विद्वान वैज्ञानिक का राष्ट्रपति पद के लिये प्रस्तावित किया जाना। कलाम विलक्षण रूप से प्रतिभावान हैं। यहाँ उनका अल्पसंख्यक समुदाय से होना कोई मायने नहीं रखता – वे एक सच्चे भारतीय हैं‚ हमारे दौर के एक महान वैज्ञानिक। बहुत सारे राजनीति के खासे जानकारों के बीच कलाम अचानक ही एक प्रकाशपुंज की तरह उभरे और सत्तारूढ़ गठबंधन के इस उम्मीदवार को शीघ्र ही ज़्यादातर पार्टियों की सहमति मिल गई…और इनके आगे सारे प्रत्याशी धूमिल पड़ गये।
प्रक्षेपास्त्र पुरुष याने मिसाईल मैन के नाम से ख्याति प्राप्त कलाम एक जनता के बीच लोकप्रिय हस्ती हैं। भले ही कलाम राजनैतिक लोगों के बीच अपने अलग केश विन्यास और सादा वेशभूषा तथा अलग किस्म के बुद्धिजीवी भाव वाले व्यक्तित्व के साथ अलग से दिखते हैं‚ लेकिन इस सर्वोच्च पद के उम्मीदवार के रूप में उनकी पात्रता उचित ही नहीं वरन् गौरवशाली है। भारत के राष्ट्रपति के रूप में एक विलक्षण प्रतिभा वाले‚ सादा जीवन और उच्चविचारों की प्रतिमूर्ति अब्दुल कलाम का चुना जाना नि:सन्देह भारत के लिये गौरव की बात होगी। सन् 1997 में भारत रत्न का सम्मान उनके प्रति जनता के प्रेम और विश्वास का प्रतीक था‚ अब राष्ट्रपति के रूप में उनका नामांकन देश को उनके द्वारा दी गई उपलब्धियों का सम्मान है।
लोग चाहे अब कुछ भी कहें कि उनका चयन एक अल्पसंख्यक वर्ग के होने की वजह से हुआ पर हम सभी सत्य जानते हैं कि देश को शक्तिसम्पन्न और वैज्ञानिक क्षेत्र में आगे बढ़ाने में जो अब्दुल कलाम का योगदान है…वह एक सच्चे भारतीय का तहेदिल से दिया गया योगदान है।
उनके लिये धर्म एक व्यक्तिगत चीज़ है‚ उनकी गीता में भी उतनी ही श्रद्धा है जितनी कुरान में। कलाप्रिय कलाम रुद्रवीणा बजाने के शौकीन हैं‚ और तमिल में कविताएं लिख कर वे स्वयं को अभिव्यक्त करते हैं। परमाणु बम बनाने के प्रति कलाम का दृष्टिकोण बहुत अलग है‚ वे कहते हैं कि ऐसे हथियार दूसरे देशों को भारत पर हमला करने से रोकते हैं‚ अत: ये शांति के उपकरण हैं।
सादा दिल कलाम को लोकप्रियता का नशा‚ महान होने का गर्व छू तक नहीं गया है। प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार होने की वजह से उन्हें केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ था‚ जिससे वे पिछले वर्ष रिटायर हो गये‚ वे चाहते तो उन्हें नई दिल्ली में आलीशान बंगला अलॉट हो सकता था किन्तु उन्होंने रक्षा मंत्रालय के दो कमरों के गेस्ट हाउस में रहना ही उचित समझा। बिलों के भुगतान के मामले में वे काफी नियमित हैं‚ फोन से लेकर मैस सभी के बिल वे स्वयं चुकाना पसन्द करते हैं। फूलमालाओं से उन्हें सख्त परहेज़ है। वे स्वयं को वी आई पी मनवाने से परहेज़ करते हैं। वे वी आई पी लाऊंज की जगह साधारण वेटिंगरूम में बैठ अपनी फ्लाईट का इंतज़ार करते हैं। बच्चों तथा युवाओं से मिलते हैं।

रामेश्वरम् के एक गरीब नाविक के पुत्र पकीर जैनुलआबदीन अब्दुल कलाम को अपनी पढ़ाई के लिये बचपन से बड़े होने तक कितनी ही तरह की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा‚ किन्तु नियति ने तो कुछ और लिखा था उनके भाग्य में…तो बस किसी न किसी तरह उनकी पढ़ाई रुकी नहीं। उन्होंने ट्यूशन्स पढ़ाईं‚ वैज्ञानिक लेख लिख कर अपनी पढ़ाई जारी रखी। वे 'भारतरत्न' जैसी सर्वोच्च उपाधि के बाद भारत के सर्वोच्च पद को गौरवान्वित करने जा रहे हैं। अगर राजग की योजना के अनुसार सब कुछ सफल रहा तोॐ
डॉ। साराभाई तथा प्रो। राजारमन्ना के सहयोगी रह चुके डॉ। कलाम ने राकेट लांचिंग तथा मिसाइल बनाने की स्वदेशी तकनीक विकसित कर अपने गुरुओं के सपने को पूरा किया तथा भारत का गौरव बढ़ाया। 1960 में 'नासा' ने उन्हें पांच भारतीय वैज्ञानिकों के साथ आमंत्रित किया‚ जहाँ उन्होंने राकेट टैक्नोलॉजी के बारे में काफी जानकारी प्राप्त की। उनकी योग्यता देख कर 'नासा' द्वारा उन्हें अमेरिका में ही काम करने का प्रस्ताव दिया लेकिन उनका उत्तर था‚ " मुझे तो मेरे गरीब देश की ही सेवा करनी है।" उन्हें न सिर्फ भारत के पहले उपग्रह प्रक्षेपण यान एस एल वी – 3 का निर्माण का श्रेय मिला वरन पृथ्वी‚ आकाश‚ नाग‚ त्रिशूल और अग्नि नामके मिसाइलों को डिज़ायन कर डॉ। कलाम ने हमारी सेनाओं को सुसज्जित किया है। और हमारे ये मिसाइल मैन हथियार ही नहीं‚ मरीज़ों के लिये सहायक कई नये चिकित्सकीय इलेक्ट्रानिक उपकरण भी बनाए हैं‚ हल्के तत्व ' कार्बन – कार्बन ' को इजाद कर अपाहिजों के लिये हल्के कैलिपर्स भी बनाए हैं। चिकित्सकीय क्षेत्र में भी उनकी उपलब्धियाँ अनगिनत हैं।
71 वर्षीय कुंवारे कलाम अब भी 17 – 18 घण्टे युवाओं की तरह काम करते रहे हैं। शाकाहारी और टी टोटलर कलाम देर रात तक काम करके भी सुबह जल्दी उठ लम्बी सैर पर जाते हैं। तभी तो उनमें युवाओं सी फुर्ती है। अपना ज़्यादातर काम वे खुद करना पसन्द करते हैं। सादगी की प्रति.मूर्ति‚ मानवीयता के प्रति सजगता उन्हें अन्य लोगों से अलग करती है। उनकी सादगी की कई घटनाएं लोग याद कर रहे हैं। कुल मिला कर आजकल कलाम साहब भारतीय लोगों के जनमानस पर छाए हुए हैं। लोग उनकी मिसालें दे रहे हैं।
1980 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें देश को विश्व के अंतरिक्ष मानचित्र पर लाने के लिये सम्मानित करने दिल्ली बुलाया तो कलाम झिझके। न तो उनके पास सूट था न ही वे कभी जूते पहनते थे…चप्पलों को ही पहन कर वे आरामदेह महसूस करते थे। तब ईसरो के अध्यक्ष सतीश धवन के उनसे कहा था कि‚ " आपने अपनी सफलता का सूट पहन रखा है‚ आपका वहाँ पहुंचना ही काफी है।"
वे अक्सर किसी भी मीटींग के बाद मिले फल व उपहार यह कह कर अपने ड्राईवरों को बांट देते हैं। ऐसी ही एक मीटींग के बाद उन्होंने अपने लाइज़न ऑफिसर को कहा कि‚ " ये सेब मेरे ड्राईवर को भिजवा दो‚ यह काफी मंहगे हैं और वह इन्हें खरीद नहीं सकता।"
लोग कहते हैं कि कुंवारे कलाम की प्रेरणा एक हिन्दु पुजारी की बेटी हैं। सामाजिक बंधनों की वजह से विवाह नहीं हो सका …आज वे भी अविवाहित हैं और मद्रास यूनिवर्सिटी में तमिल की प्रोफेसर हैं। पता नहीं यह कितना सच है‚ पर सहयोगियों द्वारा कभी पूछे गये विवाह न करने के प्रश्न पर स्वयं कलाम के शब्दों में छिपा सत्य तो यह है‚ " मुझे शादी करने का समय ही कहाँ मिला? मेरा विवाह तो विज्ञान के साथ हो गया।"
अभी थोड़े दिन पहले दैनिक भास्कर में जसपाल भट्टी का एक मज़ेदार व्यंग्य छपा था कि‚ " लोग कहते हैं कि बाजपेयी जी ने कलाम साहब का नाम इसलिये फ्लोट किया था कि वे मुस्लिम हैं‚……। लेकिन जब मैं ने अपनी नानसेन्स क्लब की प्राईवेट लैब में रिसर्च करवाई उससे ये तथ्य सामने आये कि वाजपेयी जी ने कलाम का नाम इसलिये सजेस्ट किया कि वे भी उनकी तरह जाने माने बैचलर हैं। (अच्छी कंपनी रहेगी )  हमारे देश के टॉप पर दोनों छड़े ( कुंवारे) रहेंगे तो एक नुकसान यह भी होगा कि दूसरे मुल्कों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री हमारे मुल्क की यात्रा पर आएंगे तो अपनी बीवीयां साथ नहीं लाएंगे। वे सोचेंगे कि " छोड़ो यार कुंवारों का मुल्क है‚ बीवी को साथ क्या ले जाना।"
अपने एक इंटररव्यू में कलाम ने यह पूछे जाने पर ' कहा जाता है आपके धर्म की वजह से आपको राष्ट्रपति बनाया जा रहा है? ' उन्होंने उत्तर दिया‚ " सचमुच? ईमानदारी से कहूँ तो मैं ने इस तरह कभी सोचा ही नहीं। मैं ने हमेशा खुद को एक भारतीय ही माना है।" उन्होंने यह भी कहा कि‚ "यहाँ भी नेतृत्व का ही मामला है‚ और हम इसके लिये प्रशिक्षित होते हैं भले ही मिशन अलग हो।" उनके वक्तव्यों से स्पष्ट है कि वे एक सफल व लोकप्रिय राष्ट्रपति सिद्ध होंगे।
" चाहता हूँ पुर्नजन्म भारत में ही मिले।" कहने वाला इन्सान और कोई नहीं हमारे देश के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक‚ विलक्षण प्रतिभा के धनी‚ कलाप्रिय‚ काव्यमय डॉ। अब्दुल कलाम ही हैं। लगभग तय है कि जुलाई तक डॉ। ए।पी।जे।अब्दुल कलाम देश के 12 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। यह एक शुभ संकेत है।
 

– मनीषा कुलश्रेष्ठ

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