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भारत एक ऐसा देश है जिसने अब तक अपनी जिंदगी के सबसे ज्यादा वक्त गुलामी में गुजारे हैं। विस्मय मिश्रित विशिष्टता यह है कि आज भी यह देश विश्व के मानचित्र पर विद्यमान है। वरना सैकडों वर्षों की गुलामी में भारत का अस्तित्व कभी का समाप्त हो चुका होता। भारत के संदर्भ में किसी कवि के ये उद्गार अन्यथा नहीं हैं। यूनान मिश्र
रोमा मिट गए इस जहां से 15 अगस्त 1947 को भारत ने स्वतंत्र होकर एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न देश के रूप में आंखें खोलीं। तब से आज तक यह विकास पथ पर अग्रसर है। विश्व के देशों में आज पहले की अपेक्षा आपसी समझ सहयोग व सम्बंध अधिक पुष्ट हुए हैं। क्योंकि आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी ने उन्हें और भी करीब ला दिया है। इसी के सहारे आज आपसी सम्बंधों में पहले की अपेक्षा और अधिक पारदर्शिता आयी है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए आवश्यक है कि विकसित देशों के कतार में खड़े होने के लिए आर्थिक सम्पन्नता के साथ साथ सामरिक क्षेत्र में भी ठोस प्रगति करे। विशिष्टता यह है कि लम्बे समय तक गुलामी की दासता झेलने के बाद भी भारत की प्रतिभा कम नहीं हुयी है तथा कई मामलों में स्वावलम्बन इसको प्राप्त है। विकास पथ पर कदम दर कदम अग्रसर भारत ने मई 1998 में दूसरा परमाणु परीक्षण कर विश्व में अपने को परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया। विश्व के अनेक देशों ने इसकी निंदा की। पर भारत ने स्पष्ट किया कि हमारा परमाणु सम्पन्न होना अशांति का द्योतक नहीं बल्कि आपसी संतुलन का एक सबल प्रयास है। भारत कभी विनाशकारी प्रभाव के लिए इसका उपयोग नहीं करेगा। क्योंकि – क्षमा
शोभती उस भुजंग को आनन फानन में पाकिस्तान ने भी अपनी
ठकुराई दिखाई और परमाणु परीक्षण कर डाले। भारत का पड़ोसी होने के नाते उसके
लिए यह आवश्यक भी था। तत्कालीन महाशक्ति अमेरिका ने‚ जो कि खुद एक परमाणु
शक्ति है‚ भारत व पाकिस्तान दोनों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए। इसके अनुसार
दोनों देशों को आर्थिक मदद और टेक्नोलॉजी हस्तांतरण पर रोक लगा दी गयी। भारत के लिए इन प्रतिबंधों का कोई
औचित्य नहीं रह गया था। तीन सालों में भारत ने कई प्रतिबंधों के उपाय
यूरोपीय बाजारों से ढूंढ़ चुके थे। अमेरिका भी इस बात से पूरी तरह वाकीफ
था। दरअसल यह फैसला पाकिस्तान को ललचाने के लिए था। अतः भारत को प्रतिबंध
हटाए जाने का न तो हर्ष है न ही विषाद। अमेरिकी कांग्रस ने तो अपने
व्यापारिक सोच के चलते प्रतिबंध लगाने के कुछ महीनों बाद ही जुलाई 1998
में कृषि निर्यात राहत कानून पास करके खाद्य सामग्री दवाओं और अन्य कृषि
वस्तुओं की खरीद के लिए वित्तीय सहाायता को ग्लेन संशोधन के दायरे से
मुक्त कर दिया। नवंबर 1998 में कांग्रेस ने ब्राउनबैक संशोधन पास करके
तीन संगठनों एक्जिम बैंक ओवरसिज प्राइवेट इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन तथा
ट्रेड डेवलपमेंट अथारिटी के कार्यक्रमों के सम्बंध में आंशिक रियायत देने
का एलान किया। जिससे अमेरिकी बैंकों द्वारा उधार देने तथा अंतरराष्ट्रीय
सैन्य शिक्षा व प्रशिक्षण कार्यक्रम पुनः प्रारंभ करना आसान हो गया। ठीक
उसी समय एक अवसर पर भारत को आंध्र प्रदेश के बुनियादी ढांचे और बिजली
विकास के लिए विश्व बैंक से कर्जे की आवश्यकता पड़ने पर कर्ज की मंजूरी
में अमेरिका ने सहयोग नहीं किया तो अड़चनें भी नहीं डाली। ऐसा प्रतीत होता
है कि प्रतिबंधों के बावजूद भी अमेरिका ने भारत के प्रति कड़ा व दण्डात्मक
रूख नहीं अपनाया। अब पाकिस्तान अमेरिका से लिए गए
सैन्य शस्त्र व साज समान के स्पेयर पार्टस आसानी
से प्राप्त कर सकेगा। पाकिस्तान अब अमेरिका से सैनिक सहायता भी प्राप्त
कर सकेगा। |
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