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स्वतन्त्रता मनाओ‚ तिरंगा फहराओ
भारतीय जनता तिरंगे के प्रति बहुत भावुक है‚ क्या ऐसा उनमुक्त प्रयोग भारत में संभव है? अगर थोड़ा खुले दिमाग से सोचा जाए तो तिरंगे को अपने जीवन का हिस्सा बना लेना कोई बुरा नहीं तिरंगा हमारी कैप्स‚ टी शर्ट्स‚ मफलर‚ स्कार्फ पर लहराता हुआ भला ही लगेगा। बच्चों के बैग्स पर अंकित…ब्रोच की तरह लगा हुआ… यहां तक कि एक नन्हे शिशु की दूध की बॉटल पर छपा लहराते तिरंगे का चित्र…। क्या यह शुरुआत नहीं तिरंगे के प्रति आरंभ से ही एक भावना जगाने की क्योंकि देश के प्रति लगाव का माध्यम है तिरंगा। यदि हम भारतीय हैं और भारतीयकरण की ओर बढ़ रहे हैं तो इसमें संर्कीणता की आवश्यकता नहीं है। झण्डे को फहराने और उतारने में जहां तक सम्मान की बात है वह बरकरार रहना चाहिये‚ किन्तु तिरंगे के प्रतीकों का व्यापक प्रयोग पर बंधन आवश्यक नहीं। बहरहाल लोग इस निर्णय से बेहद
उत्साहित हैं। ज़्यादातर लोगों का मानना है कि इस निर्णय से भारत के लोगों
में तिरंगे के प्रति लगाव बढ़ेगा। यकीनन यह भारत के प्रत्येक नागरिक के
लिये राष्ट्रीय सम्मान‚ गौरव और अस्मिता की बात है। लोगों में पहले
असंतोष था कि केवल कुछ विशिष्ट लोगों को ही यह अधिकार प्राप्त है‚ उन्हें
क्यों नहीं। क्या वे देश से प्यार नहीं करते? यहां तक कि वे छब्बीस जनवरी
और पन्द्रह अगस्त तक को चाह कर भी अपने ही झण्डे को फहरा नहीं पाते थे।
महज कुछ सरकारी संस्थानों पर फहर फहर कर रह जाता था तिरंगा। इसमें कोई
आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि इस बार छब्बीस जनवरी को भारत का हर खास –ओ –
आम व्यक्ति के घर पर अगर तिरंगा लहराता हुआ दिखाई दे जाए। और हर कोई गर्व
से कह सके — |
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