मुखपृष्ठ कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | फीचर | बच्चों की दुनिया भक्ति-काल धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |   संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन डायरी | स्वास्थ्य | साहित्य कोष |

 

 Home | Boloji | Kabir | Writers | Contribute | Search | FeedbackContact | Share this Page!

 

स्वतन्त्रता मनाओ‚ तिरंगा फहराओ

केन्द्र सरकार ने पन्द्रह जनवरी को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए आम आदमी को भी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा अपने घर पर फहराने की स्वतन्त्रता प्रदान की है‚ और आम जनता से इस फैसले का जोश और खुले दिल के साथ स्वागत किया है। आज़ाद भारत में पहली बार आम नागरिक भी इस 26 जनवरी के बाद हर रोज़ राष्ट्र ध्वज तिरंगे को अपने मकानों और इमारतों पर भी लहरा सकेगा। इसके लिये केन्द्र सरकार ने राष्ट्रध्वज संहिता में बदलाव लाने का निर्णय लिया है।

50 सालों में अब पहली बार आम नागरिक भी इस अधिकार को ससम्मान उपयोग कर सकेगा। निश्चय ही इस निर्णय ने व्यक्ति की स्वाधीनता की एक नई परिभाषा गढ़ी है। जिस तरह अपने अपने राष्ट्रीय ध्वजों को फहराने की और अपने रोजमर्रा के जीवन में उसे शामिल कर लेने की स्वतन्त्रता अमेरिका और इंग्लैण्ड को प्राप्त है क्या भारतीय भी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को अपने जीवन का हिस्सा बना सकेंगे?

अमेरिकी ध्वज टी शर्ट‚ कैप्स‚ टॉप्स‚ बिकिनीज़‚ अंतरंग वस्त्रों आदि में खूब धडल्ले से पहना जाता रहा है। माना अमरीकी मान्यताओं और भारतीय मान्यताओं में गहरा फर्क है किन्तु इस फर्क का यह अर्थ कतई नहीं कि अमरीकी लोग अपने राष्ट्र ध्वज का सम्मान नहीं करते हैं – बहुत करते हैं‚ वहाँ भी उसे फहराने के नियम कानून हैं। लेकिन वे यह भी मानते हैं कि वह उनके जीवन का अभिन्न अंग है।
 

 

नवीन जिन्दल जिन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया ताकि हर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना सके।

भारतीय जनता तिरंगे के प्रति बहुत भावुक है‚ क्या ऐसा उनमुक्त प्रयोग भारत में संभव है? अगर थोड़ा खुले दिमाग से सोचा जाए तो तिरंगे को अपने जीवन का हिस्सा बना लेना कोई बुरा नहीं तिरंगा हमारी कैप्स‚ टी शर्ट्स‚ मफलर‚ स्कार्फ पर लहराता हुआ भला ही लगेगा। बच्चों के बैग्स पर अंकित…ब्रोच की तरह लगा हुआ… यहां तक कि एक नन्हे शिशु की दूध की बॉटल पर छपा लहराते तिरंगे का चित्र…। क्या यह शुरुआत नहीं तिरंगे के प्रति आरंभ से ही एक भावना जगाने की क्योंकि देश के प्रति लगाव का माध्यम है तिरंगा। यदि हम भारतीय हैं और भारतीयकरण की ओर बढ़ रहे हैं तो इसमें संर्कीणता की आवश्यकता नहीं है। झण्डे को फहराने और उतारने में जहां तक सम्मान की बात है वह बरकरार रहना चाहिये‚ किन्तु तिरंगे के प्रतीकों का व्यापक प्रयोग पर बंधन आवश्यक नहीं।

बहरहाल लोग इस निर्णय से बेहद उत्साहित हैं। ज़्यादातर लोगों का मानना है कि इस निर्णय से भारत के लोगों में तिरंगे के प्रति लगाव बढ़ेगा। यकीनन यह भारत के प्रत्येक नागरिक के लिये राष्ट्रीय सम्मान‚ गौरव और अस्मिता की बात है। लोगों में पहले असंतोष था कि केवल कुछ विशिष्ट लोगों को ही यह अधिकार प्राप्त है‚ उन्हें क्यों नहीं। क्या वे देश से प्यार नहीं करते? यहां तक कि वे छब्बीस जनवरी और पन्द्रह अगस्त तक को चाह कर भी अपने ही झण्डे को फहरा नहीं पाते थे। महज कुछ सरकारी संस्थानों पर फहर फहर कर रह जाता था तिरंगा। इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये कि इस बार छब्बीस जनवरी को भारत का हर खास –ओ – आम व्यक्ति के घर पर अगर तिरंगा लहराता हुआ दिखाई दे जाए। और हर कोई गर्व से कह सके —

' झण्डा ऊंचा रहे हमारा‚ विजयी विश्व तिरंगा प्यारा'

– राजेन्द्र कृष्ण

Hindinest is a website for creative minds, who prefer to express their views to Hindi speaking masses of India.

 

 

मुखपृष्ठ  |  कहानी कविता | कार्टून कार्यशाला कैशोर्य चित्र-लेख |  दृष्टिकोण नृत्य निबन्ध देस-परदेस परिवार | बच्चों की दुनियाभक्ति-काल डायरी | धर्म रसोई लेखक व्यक्तित्व व्यंग्य विविधा |  संस्मरण | साक्षात्कार | सृजन साहित्य कोष |
 

(c) HindiNest.com 1999-2021 All Rights Reserved.
Privacy Policy | Disclaimer
Contact : hindinest@gmail.com