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एड्स को कलंक न समझे:
संयुक्त राष्ट्र महासचिव

न्यूयार्क, 1 दिसम्बर (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बैन की-मून का मानना है कि एचआईवीएड्स से मुकाबले के लिए आवश्यक है कि लोग इस बीमारी को कलंक की तरह न लें। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में करोड़ों लोग इस वायरस से ग्रस्त हैं और इससे निपटने के लिए जरूरी है कि इसे कलंक न समझा जाए।

उन्होंने कहा, ''लोग इस वायरस के बारे में बात करने से कतराते हैं। यही वजह है कि यह महामारी पूरी दुनिया में अपना पैर फैला रही है।'' उन्होंने कहा कि एचआईवीएड्स कोई 'आम बीमारी' नहीं है। यह मानवाधिकारों के लिहाज से भी मुद्दा बन गया है। युवाओं और वयस्कों को अपनी गिरफ्त में ले रहा यह रोग देशों की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रहा है।

इस वर्ष नवंबर महीने में जेनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनेएड्स के कार्यक्रम में बताया गया था कि पूरी दुनिया में करीब 3.3 करोड़ लोग एचआईवी वायरस की चपेट में आ चुके हैं। हालांकि पिछले वर्ष ऐसे लोगों की संख्या 3.95 करोड़ थी, जिनमें 16 फीसदी की कमी आई है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2015 तक इस वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जहां कुछ देश एड्स से लड़ने के लिए विशेष कार्यक्रम चला रहे हैं, वहीं कुछ देशों को इस दिशा में अभी और प्रयास करने की आवश्यकता है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

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