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एड्स पर बात करने से परहेज है 65 फीसदी भारतीयों को नई दिल्ली, 1 दिसम्बर (आईएएनएस)। तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद भारत में आज भी लोग एचआईवीएड्स के प्रति रूढ़िवादी रवैया अपनाए हुए हैं। इस बात का खुलासा दो महीने पहले मैक एड्स फंड नामक अंतर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण से हुआ है। मैक के अध्यक्ष जॉन डेमेसी कहते हैं कि एड्स को लेकर भारतीयों के बीच फैली तमाम भ्रांतियों को दूर करना बेहद जरूरी है। सर्वेक्षण से ज्ञात हुआ है कि 79 फीसदी भारतीय एड्स को बेहद ही घातक बीमारी समझते हैं, जबकि 59 लोग मानते हैं कि एड्स क ा उपचार हो सकता है। सर्वेक्षण से पता चला है कि 65 फीसदी भारतीय एड्स के बारे में बातचीत तक करने में हिचकिचाते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 44 फीसदी भारतीय इस बीमारी के बारे में डाक्टर से बात करने में शर्माते हैं। सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक 38 फीसदी भारतीय एचआईवीएड्स से पीड़ित लोगों के साथ काम करने से डरते हैं, जबकि कुछ लोग उस कमरे में रहना पसंद नहीं करते हैं जिसमें एचआईवीएड्स से पीड़ित लोग निवास करते हैं। भारत के अलावा आठ अन्य देशों में भी इस संस्था द्वारा सर्वेक्षण कराया गया। इंडो-एशियन न्यूज सर्विस |
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