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आबिदा
परवीन
आबिदा परवीन सूफियाना गायिकी की एक नई पहचान बन कर उभरी
हैं। उनकी गायिकी में सूफी गायिकी का वही लुभावना अंदाज़ मिलता है – आत्मा
से निकली भावुकता भरी आवाज़ और रहस्यमय गायिकी। नुसरत फतह अली खान के बाद
गायिकी के इस खास अन्दाज़ को लेकर सबकी निगाहें आबिदा परवीन की ओर है।
आबिदा परवीन सिन्ध के प्रसिद्ध सूफी संत अब्दुल बिट्टई की शागिर्द तो रही
ही हैं साथ ही बचपन से ही उनके पिता उस्ताद गुलाम हैदर ने उन्हें गायिकी
की शिक्षा दी है। यार को हमने जा ब जा देखा
(मैं ने अपने प्रेमी अपने खुदा को हर हाल में देखा, कहीं सामने
और कहीं छिपा हुआ देखा है। कई बार संभव सा लगा, कई बार अपने हर रूप में
स्वीकार्य तो कभी लौकिक लगा तो कभी अलौकिक। कहीं वह मुझे सिंहासन पर बैठा
सम्राट लगा तो कहीं हाथ में भिक्षा पात्र लिये याचक लगा। कभी वह खुद
प्रेमिका के वस्त्रों में नाज़ो अदा के साथ दिखा तो कभी ' नियाज़ ' –
नार्सिसस की तरह का एक पात्र – की तरह खुद पर ही मुग्ध सुलगते हुए दिल के
साथ दिखा।) |
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