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यूएसए: निराश गृहणियों के मित्र -जियाना कैसर विमेन्स फीचर सर्विस न्यू यॉर्क, ;विमेन्स फीचर सर्विसध्द - घरेलू हिंसा के मुद्दे को प्राय: अन्य समुदायों की भांति, दक्षिण एशियाई देशों में दबा दिया जाता है। लेकिन न्यू यॉर्क शहर की एक गैर-लाभ संस्था विदेश में सताई हुई व बेसहारा महिलाओं की आवाज बुलंद करने के लिए कृत-संकल्प है। सखी, अर्थात 'महिला मित्र', की स्थापना 1989 में पाँच दक्षिण एशियाई महिलाओं द्वारा की गई। ''ये महिलाएं एक दूसरे से मिली क्यों कि इन्होंने अनुभव किया कि न्यू यॉर्क शहर में प्रवासी दक्षिण एशियाई आबादी पर घरेलू हिंसा के मुद्दे, जिस पर विचार नहीं हो रहा, पर विचार करने की तुरन्त जरूरत है,'' सदीप बथाला, निदेशक, सीधी सेवाएं, सखी, कहते हैं। ''जब कुछ ही सांस्कृतिक व धार्मिक संगठन उस क्षेत्र में थी, तब किसी प्रकार भी घरेलू हिंसा की समस्या पर विचार नहीं किया जा रहा था,''। सखी घरेलू हिंसा को 'गाली-गलोज युक्त ब्यवहार के सदृश मानती है जिसमें एक साथी दूसरे की तुलना में भय, धमकी व नियंत्रण के माध्यम से शक्तिशाली स्थिति में होता है'। जहां सभी सांस्कृतिक परिवेश की महिलाएं घर में दुब्यवहार झेलती हैं, सखी की सेवाएं दक्षिण एशियाई परिवेश की महिलाओं को बहुत अर्थों में विशिष्ट रूप से मूल्यवान है। प्रथम, तलाक का कलंक व घरेलू हिंसा की स्वीकारोक्ति सामाजिक लज्जा से जुडी है और प्रभावित ब्यक्तियों को साधनों के उपयोग से रोक सकते हैं। तब, प्रवासी महिलाएं जिनके साथ दुराचार हुआ है, परेशानी में होंगी कि मदद के लिए कहां जांय। ''प्रवासी उत्तरजीवियों को अपने अधिकार या जटिल कानूनी व श्रमसाध्य सामाजिक सेवा प्रणाली कहां से मिले, यह भी मालूम न होगा,'' पूर्वी शाह, कार्यकारी निदेशक, सखी, कहती है। ''इसके अतिरिक्त, उन पर जुल्म करने वालों में कछ धमकी भी देते हैं कि यदि उनके जीवन साथी मदद मांगें, तो उनका देश-निष्कासन कर दिया जाएगा। वस्तुत:, कुछ उत्तरजीवी उनपर हुए जुल्म के फलस्वरूप प्रवास-राहत के योग्य ठहराए जा सकते हैं। सखी में, हम यह सुनिश्चित करते हैं कि उत्तरजीवी अपने अधिकार व बिकल्प समझें ताकि वे सोच-समझ कर निर्णय लें सकें''। अनेक दक्षिण एशियाई मामलों की दूसरी विशेषता यह है कि महिला पर उसके ससुराल वालों, उसके पति सहित पारिवारिक ब्यक्तियों द्वारा जुल्म हो सकता है। बथाला बताते हैं, ''एक प्रकार से, ससराल वालों व परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा किया गया जुल्म दक्षिण एशियाई समाज में सयुक्त परिवार/ बृहत्तर परिवार के महत्व के कारण और भी पेचीदा हो सकता है।'' शिकागो में रह रही माला, 28, के साथ उसका बच्चा पैदा होने तक सब कुछ ठीक चल रहा था, तब उसकी सास ने उनके पास आने व साथ रहने का निर्णय किया। उसके बाद, उसकी जिन्दगी भयंकर स्वप्न के समान हो गई। माला की सास ने उसको शारीरिक व मानसिक यातनाएं दी जब कि उसका पति इन यातनाओं को चुपचाप देखते रहता। तब उसका पति एक दिन, अपने साथ महत्वपूर्ण कागजात, धन और यहां तक कि माला के विवाह के गहने लेकर चले गया। ''वह मेरे 3 माह के बेटे को बच्चे को सम्भालने वाले से भगाकर अपने माता-पिता के पास रहने लगा। मैं अपने बच्चे को वापस लेने में सफल रही व सखी के पास आ गई। सखी के कर्मचारी के साथ मैं न्यायालय संरक्षण का आदेश लेने गई। अकेले परिवार-न्यायालय जाना खतरे का काम है और सखी के कर्मचारी ने सारी वैधानिक प्रक्रिया के दरमियान मेरी पूरी सहायता की। उन्होंने मुझे वकीलों के सम्पर्क में रखा तथा सतत अपने पांव पर खडे होने में मेरी मदद की,'' माला याद करती है। बहुत महिलाएं अपने हेल्प-लाइन नं.: 212.868.6741 से सखी तक पहुंचे। वस्तुत:, पिछले सालों में जितने फोन इसको मिले, प्रकट करते हैं उस जरूरत के महत्व को जो सखी सुलझाती है। पिछले पाँच वर्षों में सहायतार्थ फोन की संख्या में बृध्दि हुई है। ''हमारे अधिकांश फोन न्यू यॉर्क व उसके आस-पास के इलाकों से हैं, हमसे सारे यू एस व समुद्र पार से बहुत से लोग पूछताछ करते हैं,'' बथाला कहते हैं। महिलाएं विविध परिवेशों से आती हैं, सखी के ऑंकडे बताते हैं कि जुल्म के शिकारों में सबसे अधिक ंसंख्या प्रथम-पीढी की प्रवासी महिलाओं की होती है । यह महिलाएं अपने सीमित साधनों के कारण सर्बाधिक आघात-सुगम होती हैं। जब शमा, 21, ढाका से 1995 न्यू यॉर्क आई, दवाइयों में डिग्री की शिक्षा लेना चाहती थी। लेकिन सात साल बाद, उसको सखी से मदद लेनी पडी। यह उसके कार्य-स्थल ेके पर्यवेक्षक थे जिसने उसके बाजू पर खरोंच देखी और उसको पुलिस के पास जाने की सलाह दी। तब तक, वह तीन असफल गर्भ की यातनाएं भुगत चुकी थी और तीन साल से अपने पति के शारीरिक, यौन व मनोवैज्ञानिक दुब्यवहार झेल रही थी। ''मैं सखी के पास आई क्यों कि मुझे पुलिस से अधिक मदद नहीं मिल रही थी। मैंने जीवन में पहली बार, महसूस किया कि किसी की देखभाल हो रही है। सखी के कर्मचारियों ने मेरी कानूनी काम में मदद की, छात्रवृति से, और मैंने भी उनकी आर्थिक सशक्तीरण कक्षाओं में भाग लिया। अब, मुझे बुकलिन कॉलेज से एसोशिएट की डिग्री मिलने वाली है और इस साल सखी की एडवोकेट ट्रेनिंग करने जा रही हूँ ताकि कल किसी की मैं मदद कर सकूं।'' सखी का मुख्य उदेश्य पीडित ब्यक्तियों को सीधी सेवाओं के रूप में जैसे अनुवाद, न्यायालय में साथ; स्वास्थ्य, निवास व कानूनी सहायता, मासिक सहायता दल के लिए आगे भेजना, सहायता प्रदान करना है। ''हम कोशिश करते हैं व मासिक सहायता दल को पीडित लोगों के लिए यथा सम्भव सुलभ कराते हैं,''बथाला कहते हैं और आगे बताते हैं कि सखी बच्चों को खाना व काम देते हैं व स्थानीय यात्रा ब्यय देते हैं ताकि अवराधों को समाप्त कर सहभागिता को सम्भव बना सकें। यह शैक्षणिक व ब्यवसायिक कार्यशालाओं को आयोजित कर उत्तरजीवियों के आर्थिक सशक्तीकरण का उदेश्य रखती है। स्वास्थ्य समर्थन दूसरा महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसके माध्यम से सखी शैक्षणिक कार्यशालाओं को आयोजित करती है तथा यौन-स्वास्थ्य व आत्म-रक्षा ब्यूहरचना, आदि के लिए साधन प्रदान करती है। जहां सीधी सेवाएं निसंदेह मूल्यवान हैं, एन. जी. ओ. के सशक्त विस्त्रित कार्यक्रम घरेलू हिंसा के विरोध मे जागृति उत्पन्न करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। दक्षिण एशियाई समुदायों के यथासम्भव दूर-दराज क्षेत्रों तक पहुंचने के उदेश्य से, सखी ने सेकडों सामुदायिक विस्त्रित कार्यक्रमों व साझेदारी-सृजन कार्यों में भाग लिया है। इन प्रयासों के परिणाम पीडितों व उनके परिवारों से प्राप्त उत्तर से स्पष्ट दिखता है। वास्तव में, सखी के अनुमान बताते हैं कि 2006 में सहायता के 685 आवेदनों में से 8.5 प्रति शत उन आदमियों से मिले जो जुल्म झेल रही महिलाओं की ओर से बोल रहे थे। ''हम जानते हैं कि आदमियों द्वारा सहायता व साधनों के लिए उन महिलाओं, जिनको वे चाहते हैं, की ओर से आवदनों में बृध्दि का समुदायों पर प्रभाव पडता है। यह प्रगति की ओर बिशाल कदम है,'' शाह टिप्पणी करते हैं। सखी स्वयं को समाज से अनुदान व निवेश के भरोसे पर बनाए रखती है। निजी दान व धनोपार्जन पहल भी सहयोग देते हैं। इस साल मई में हुए उनके जलसे, जिसका विषय था शक्तिशाली समाज का निर्माण, में सखी ने पाकिस्तानी मानव अधिकार कार्यकत्री मुख्तारन माई को वक्ता के रूप में प्रस्तुत किया और उनको साहस व बहादुरी से हिंसा का विरोध करने के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया। इसकी कार्यसूचि में नीतिगत परिवर्तनों का पक्ष रखना ऊंचे स्थान पर है। एक योजना जिस पर सखी अभी काम कर रही है, वह है उत्तरजीवियों को न्यायालय की सुनवाई के दरमियान समुचित भाषा की पहुंच सुनिश्चित करना है। बथाला बताते हैं, '' न्यायालय के दुभाषिए महिला की ब्यथा-कथा को बताने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं और इसलिए घरेलू हिंसा के मामलों के फैसले पर प्रभाव डालते हैं। हमारा उदेश्य है कि उनको इस महत्वपूर्ण कार्य को सम्पन्न करने के लिए प्रयाप्त प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाय।'' 18 साल के बाद, सखी जुल्म के उत्तरजीवियों को अपने जीवन को सुधारने की शक्ति देना जारी रखे हुए है। ''इस साल हमारे सहयोग के लिए नई आवेदन-प्राप्ति का विस्तार 700 आवेदनों से अधिक- हमारा सर्बाधिक-हो जाएगा,'' बथाला कहते हैं।
सौजन्य : ;विमेन्स फीचर सर्विस |
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