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भारत : साइबरस्पेस मुफ्ती (क्लेरिक्स) 

- शुरियाह नियाजी

 

विमेन्स फीचर सर्विस 

भोपाल ( विमेन्स फीचर सर्विस ) - समाज के नई प्रौद्योगिकी न अपनाने की आम धारणा के बिपरीत, मुसलमानों ने तुरन्त इन्टरनेट का उपयोग करके अपने धर्म से सम्बधित सूचना प्राप्त करने के लिए नई प्रौद्योगिकी अपनाई।  

सबसे नवीनतम उदाहरण एक मुस्लिम दुल्हन, सदाफ सरवर, 21, और उसकी तीन बहिनों का है। यू. के. से आई, इन बहिनों ने नेट से इस्लामी विवाह की धारणा के बारे में पता किया और पाया  महिलाएं भी 'निकाह' (विवाह संस्कार) में गवाह के रूप में हस्ताक्षर कर सकती हैं, इसके बावजूद कि यह बिल्कुल असामान्य बात है। इस प्रकार, सदाफ की बहिनें-राहिया, 19, साना, 17, और आना,14 - अपनी बहिन के निकाह, जो भोपाल, भारत में हाल ही में सम्पन्न हुआ, में गवाह की औपचारिक भूमिका पूरी की। 

भारतीय मुसलमानों की बढती संख्या बहुत से प्रश्नों के उत्तर व बहुतसारी बातों के बारे में अपनी शंकाओं का समाधान के लिए इन्टरनेट का सहारा लेते हैं। अधिकांश मुफ्तियों (क्लेरिक्स) तक पहुंचना आसान नहीं होता-जो कि अस्वाभाविक नहीं है, कम उम्र के लडके-लडकियां शक्तिशाली मुफ्तियों से यौन-कामना व यौन सम्बंधों पर जानकारी लेने से संकोच करते हैं-वे विभिन्न वेब साइट्स, जो साइबरस्पेस के आरामगाह से सूचनाएं प्रदान करते हैं, का सहारा लेते हैं। 

इन वेब साइट्स से जो जानकरियां ली जाती हैं उन में से कुछ का नमूना यह है: आस्कइमाम.कॉम पर एक जिज्ञासु युवक/युवती पूछता है: ''क्या इस्लाम में एक रात्रि क्लब या कैसिनो में बाउन्सर (सुरक्षा गार्ड) का काम करने की अनुमति है?''  दूसरा प्रश्न जो इस्लामहेल्पलाइन.कॉम पर पूछा गया, वह है: ''क्या यह सुन्नाह के खिलाफ होगा यदि कोई नव विवाहित दम्पति मोमबत्ती जलाए और अपने घर में मोमबत्ती के

प्रकाश में रात्रि-भोज ले? ''  

जीनत, 18, ने जानना चाहा कि क्या इस्लाम में प्रेम-विवाह की अनुमति है। किसी मुफ्ती से ऐसी जानकारी के लिए न पहुंच पाने के कारण, उसने इस जानकारी के लिए इस्लामहेल्पलाइन.कॉम पर लॉग ऑन किया।  

इसी प्रकार, जाकीर खान, 29, ने एक वेबसाइट की मदद ली, जब उसने यौन-सम्बन्धित मुद्दे के बारे में जानकारी चाही। वह कहता है, ''यदि उसने मुफ्ती से पूछा होता, या तो वह कोई उत्तर नही देता, या तो मुझे जाने के लिए कहता। लेकिन वेबसाइट ने मेरा काम हल्का किया, जवाद आलम, जिसकी 17 साल की बेटी है, मान लेता है कि इन्टरनेट पर ऐसे प्रश्न उठाना अधिक आसान है।वह महसूस करता है कि एक युवती के लिए, विशेषकर, जिसको यौन विषयों पर मुफ्ती से स्पष्टीकरण मांगना बहुत शर्मनाक होता और इसलिए इसका प्रश्न नहीं उठता। वह स्वीकार करता है कि वह, भी, ऐसे विषयों को नहीं लेता, इस प्रकार वेबसाइट्स की प्रसिध्दी का महत्व बढता है।  

हृदय के गम्भीर चिन्ताप्रद विषय से हल्के विषय जैसे कौमार्यता, नव युवक-युवतियां वेबसाइट्स को अपने प्रश्नों का उत्तर पाने के लिए क्लिक करते रहते हैं। शरिया इकबाल, 30, बताती हैं, ''मैंने एक वेबसाइट्स की मदद ली जब मैं जानना चाहती  थी  कि क्या इस्लाम महिला को अपनी भोंहें कटवाकर कम करने की अनुमति देता है। इस वेबसाइट्स ने मुझे उत्तर प्रदान किए। मेरे लिए यह सम्भव नहीं था कि मैं सीधे मुफ्ती से इन विषयों पर बात करती।'' 

लेकिन, निसंदेह, अधिकतम प्रश्न आतंकवाद के मुद्दे पर हैं। युवक-युवतियां चिन्तित हैं कि किस प्रकार मीडिया इस्लाम को प्रस्तुत कर रहा है और इसको आतंकवाद से संबध्द करता है। 

भारत में आधाीति मुफ्ती व छात्र, जहां युवकों में इस्लाम के बारे में बढती समझ से प्रसन्न हैं, कुछ सावधान भी हैं। भोपाल के काजी अबदुल लतीफ खान कहते हैं, ''उत्तर पवित्र कुरान व शरियाह (इस्लामी कानून) के प्रकाश में दिए जाने चाहिए,'' आगे बताते हैं कि यह अच्छा होगा कि उत्तर इस्लाम धर्म के प्राधिकारी दें - पसंद से मुफ्ती या शोध-छात्र। वह नव युवक-युवतियों को इस्लाम विरोधी प्रचार से सावधान भी करते है जिनको कितनी ही वेबसाइट्स पर डाला गया। वह उन लोगों को इन्टरनेट सर्फिंग  करते हए उन पोर्टल्स पर निगरानी रखने की राय देते हैं जो प्राधिकृत सूचना प्रदाता के भेष में जानबूझकर इस्लाम के प्रति दुष्प्रचार करते हैं।  

नैमूर रहमान सिदिकी, प्रसिध्द इस्लामिक इन्स्टीटयूसन, नदवतुल उलेमा (लखनऊ) के ऐकेडमी ऑफ इस्लामिक रिसर्च में प्रोफेसर हैं, राय देते हैं कि इन्टरनेट का सूचनार्थ उपयोग करने वालों को वेबसाइट्स पर सूचना डालने वाले शोधकर्ताओं की मर्यादा के बारे में पूछताछ कर लेना चाहिए। वह इन इस्लामसिटी.कॉम, इस्लामहेल्पलाइन.कॉम आस्कइमाम.कॉम जैसे यू आर एल की सिफारिश  करते हैं। ऐकेडमी ऑफ इस्लामिक रिसर्च ने पहिले इस्लामिक वेबसाइट्स की सूचि संकलित की थी; तथापि इनको अभी तक अद्यतित नहीं किया गया। 

आध्यात्मिक दृष्टि से जागरूक लोगों में जो अपने धर्म को अच्छे से समझना चाहते हैं, उनके लिए इस्लामऑनलाइन.कॉम प्रसिध्द है। इसको देखने वाले प्रति माह एक चौथाई मिलियन हैं। सूचना व उत्तर मिश्र-आधारित युसुफ अल करदावी द्वारा प्रदान किया जाता है। इसी प्रकार, इस्लामहेल्पलाइन.कॉम में शोध-छात्र बुरहन-जो भारत में जन्मा है-यू एस से उत्तर देता है। आस्कइमाम.कॉम देवबंदी मुफ्ती इब्राहिम देसाई इस्लाम पर प्रश्नों के उत्तर दक्षिण अफ्रिका से देते हैं। 

और यदि अंग्रेजी भाषा के माध्यम से कोई रूकावट होती है तो नजदीक के साइबर कैफे के मददगार संचालक स्वेच्छा से इन्टरनेट से सूचना लेने, वेबसाइट पर लॉग ऑन करने व प्रश्न टाइप करने में मदद करते हैं। लेकिन मोहम्मद शकील, जो भोपाल में एक कैफे के मालिक हैं, बताते हैं कि अधिकांश युवक-युवतियां जो मध्यम से उच्च आय-बर्ग के हैं, उनको शायद ही कोई मदद की जरूरत होगी, वे पहिले ही नेट-कुशल हैं।

(सौजन्य : विमेन्स फीचर सर्विस )

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