जंगल के बीचों बीच बहती एक छोटी पहाड़ी नदी, ‘वाइल्ड ब्रुक’ का यही तो अर्थ है, और अपने इस अर्थ के स्वप्निल दृश्य प्रस्तुत करता है ‘वाइल्ड ब्रुक रिट्रीट’। बेहद खूबसूरत नलानी वादी में हिमालय की तलहटियों में स्थित, हरिद्वार से महज २४ किलोमीटर दूर स्थित यह ‘इकोलॉज’ या रिसॉर्ट ‘इको टूरिज्म’ की परिभाषाओं पर खरा उतरता है।  ‘इको टूरिज्म’, पर्यटन का एक बेहद उत्कृष्ट स्वरूप है। ऐसा मित्रवत पर्यटन जो उस इलाके की संस्कृति और पर्यावरण को भ्रष्ट किए बिना, उस इलाके की प्राकृतिक और आर्थिक समृद्धि में इजाफा करे। ऐसा पर्यटन जो उस क्षेत्र के लिए फलदायी हो, मगर वहां के निवासियों के जीवन और संस्कृति में छेड़छाड़ किए बिना। भारत में इको टूरिज्म के नाम से अभी बस आरंभिक प्रयास ही चल रहे हैं, अगर हमें अपने पर्यावरण को संवारते हुए अपनी विविध सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखते हुए पर्यटन का मज़ा लेना है तो हमें अपना दृष्टिकोण बदलने की ज़रूरत है। 

वाइल्ड ब्रुक रिट्रीट इको टूरिज्म की दिशा में एक बड़ा कदम है। अनछुए जंगलों से घिरे इस रिसॉर्ट के करीब से एक नदी की धारा गुज़रती है। निसंदेह यह बहुत आदर्श स्थान है अपने सप्ताहांतों या छुट्टियों को यादगार बनाने का। प्रकृति के करीब बल्कि प्रकृति की गोद में रहने की मनुष्य की चिरप्राचीन चाहत को अगर आप ताज़ा करना चाहते हैं तो एक बार वाइल्ड ब्रुक रिट्रीट में ज़रूर जाएं। जंगली – पहाड़ी नदी के मनमोहक दृश्य और द्वसके पीछे अलसाया घना हरा जंगल आपका मन मोह लेगा। 

भंवरों की गुंजन, नदिया की कलकल, हवाओं की गुनगुनाहटें, चिडियों की चहचहाहटें, जंगल की अलसायी करवट, ये सारे स्वर जो आपने महज गीतों, कविताओं में सुने होंगे यहां वादी की में प्रतिगूंज बन कर उभरते हैं।  

ऋषिकेश यहां से सबसे करीबी रेल्वेस्टेशन है।नई दिल्ली का इंदिरागांधी एयरपोर्ट सबसे नज़दीक इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। और दिल्ली के पालम एयरपोर्ट से घरेलू उड़ानों द्वारा देहरादून के जॉली ग्रान्ट एयरपोर्ट तक भी आया जा सकता है। हालांकि हमें हरिद्वार सबसे सुविधाजनक लगा था क्योंकि दिल्ली से हरिद्वार तक पांच घण्टे का कार का आरामदेह सफर रहा था। बीच बीच में मनोरमदृश्य भी देखने को मिले थे। दिल्ली हाईवे से हरिद्वार के निकट भूमानंद चौक तक पहुंच कर हम बांयी ओर चंडीदेवी पुल पर मुड़ गए थे, जो कि गंगा नदी पर बना है,  फिर हम चिला के लिए बांयी ओर मुड़े और नहर के किनारे ड्राईव करते हुए कौड़िया गांव तक पहुंचे, वहां हमने विंध्यवासिनी मंदिर के लिए पूछा। आधा किमी ‘टेडों नदी’ के किनारे चलते हुए हमें दायीं तरफ स्थित ‘वाइल्ड ब्रुक रिट्रीट’ दिख गया था।

यहां पहुंच कर अब आप चाहें तो जंगल के बीच बनी कॉटेजेज़ में रहें या जंगल की आहटों करवटों का आनन्द लेना चाहते हैं तो टैण्ट का लुत्फ़ लें।

यहां के टैण्ट और कॉटेजेज़ बड़े और आरामदेह है, इनमें आधुनिक उपकरणों सहित सारी सुविधाएं हैं, जो कि जंगल के बीचों बीच आपके निवास को आरामदेह बनाती हैं। अटैच्ड बाथरूम्स, फायरप्लेस। बाहर प्राकृतिक छटा और भीतर पारंपरिक आंतरिक सज्जा। 

जंगल के बीचों बीच आप भारतीय और कॉन्टिनेन्टल दोनों तरह के खानों का मज़ा ले सकते हैं। सर्दियों की शामों में बारबेक्यू और बॉनफायर पुराने दिनों का आनन्द लौटा लाती हैं। खाने के आनन्द को दुगुना करती है, जंगल की पुकारें, चाहे वह हिरणों की खतरे के लिए आगाह करती पुकार हो या खुद बाघ या तेंदुए की।  इस रिट्रीट में छोटी सी लायब्रेरी भी ही जो वन, प्रकृति और पर्यटन से सम्बद्ध किताबों से लैस है। 

वाइल्ड ब्रुक रिट्रीट आकर आप खाली नहीं बैठ सकते, आप खाली बैठ कर केवल प्रकृति का संसर्ग चाहें तो अलग बात है। अन्यथा यहां आप बहुत सी रोमांचक गतिविधियों का मज़ा ले सकते हैं।

सुबह सुबह का वक्त जीप सफारी और एलीफेन्ट सफारी के लिए बेहतरीन है, क्योंकि वाईल्ड ब्रुक राजाजी नेशनल पार्क के चिला गेट से महज १५ किमी की दूरी पर स्थित है। नेशनल पार्क के गेट से घुसते ही जंगल की हरकतें और वन्य जीवन की झांकियां दिखाई देने लगती है। जीप सफारी के लिए जिप्सी का इस्तेमाल होता है जिसमें आपके साथ में एक प्रशिक्षित प्रकृतिविद् भी रहता है। ये ‘सफारी’ आपके आग्रह पर मोतीचूर, चिला या राजाजी नेशनल पार्क की दूसरी रेन्जेज़ में भी आपके लिए आयोजित की जा सकती है। एलीफेन्ट सफारी की सुविधा ‘चिला गेट’ से है, जो कि हाथियों के द्वपलब्ध होने पर निर्भर करती है।  

राजाजी नेशनल पार्क १५ नवम्बर से ३० जून तक खुला रहता है, लेकिन दूसरे मौसमों का अपना लुत्फ है सो वाइल्ड ब्रुक रिट्रीट पूरे साल अपने मेहमानों के स्वागत में तत्पर रहता है। 

वाइट वाटर राफ्टिंग यह पवित्र गंगा की लहरों पर आयोजित किया जाता है, जो कि वाइल्ड ब्रुक रिट्रीट से ३८ किमी दूर से आरंभ होकर ऋषिकेश पर जाकर समाप्त होती है। यहां पर नौसिखीयों और दक्ष रिवर राफ्टर्स दोनों के लिए रिवर राफ्टिंग की सुविधा है। यहां सुरक्षित, सुविधाजनक और उच्चस्तरीय उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है के ताकि सुरक्षा के साथ साथ रोमांचक अनुभव भी लिया जा सके। 

आस पास के इलाके में बहुत से ऐसे नदी के सूखे किनारे हैं जहां पर सायकिल चलाने का मज़ा भी आप ले सकते हैं। पहाड़ों पर स्थित एकान्त, शांत सुन्दर मंदिर हमारी अस्तित्व को आद्यात्मिक पुकार से भर देते हैं, तो यहां पहाड़ी की चोटी पर मंदिर भी है और एक पनचक्की भी जिससे गेहूं पीसा जाता है। इन दोनों स्थानों तके आप पैदल चल कर पहुंच सकते हैं। 

बर्ड वाचिंग, वाइल्ड ब्रुक रिट्रीट की सबसे दिलअजीज़ गतिविधि है। यहां ४०० किस्म पक्षी देखने को मिलते हैं। किसी खास वर्ग के पक्षियों को देखने के लिए विशेष आग्रह पर आपके लिए ट्रिप भी आयोजित हो जाती है। हॉर्नबिल्स, रेड जंगल फाउल, सनबर्डस और जंगली उल्लू तो वाइल्ड ब्रुक रिट्रीट के स्थायी मेहमान हैं। 

यहां से हरिद्वार और ऋषिकेश २४ और १८ किमी दूरी पर हैं, इसलिए आप अपनी आद्यात्मिक क्षुधा शांत करने के लिए वहां भी जा सकते हैं। दोनों पवित्र स्थानों पर सुन्दर प्राचीन मंदिर और स्चच्छ धवल गंगा के सुन्दर घाट हैं, पवित्र स्नान के लिए। 

इस सबके अतिरित, वाइल्ड ब्रुक रिट्रीट के होस्ट आपको हिमालय की ट्रेकिंग,  नाइट सफारी, जंगल कैम्पिंग, पहाड़ी सैर की सुविधा के अतिरिक्त भी बहुत सी रोमांचक गतिविधियां उपलब्ध करवाते है।  

इस इकोलॉज के प्रबंधक और ओनर मनोज कुलश्रेष्ठ हैं, जो कि एक आनुवांशिकी वैज्ञानिक हैं, प्लान्ट ब्रीडिंग के विशेषज्ञ हैं मगर वन्य – जीवन और खास तौर पर पक्षियों के प्रति प्रेम उन्हें पर्यावरण संरक्षण तथा इकोटूरिज्म की तरफ ले आया। वे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी, आर एस पी बी, बर्ड लाइफ इन्टरनेशल जैसी बड़ी और कुछ स्थानीय पर्यावरण संस्थाओं से भी जुड़े रहे हैं। उन्होने कई जरनल्स और अखबारों, पत्रिकाओं में इस विषय पर लेख लिखे हैं। इस पक्षी अन्वेषण शौक तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति निष्ठा के चलते उन्हें भारत के महत्वपूर्ण पक्षी बहुल इलाकों में जाने का अवसर मिला है, यह यायावरी करते हुए उन्हें महसूस हुआ कि अब समय आ गया है कि ईको टूरिज्म जैसे जागस्त्र्क पर्यावरण पर्यटन को हमारे देश में भी शुस्त्र् कया जाए ताकि लोग जंगली इलाकों की तरफ स्त्र्ख करें और असली जंगल से परिचित हों साथ ही द्वनमें जंगलों और पर्यावरण के प्रति जागस्त्र्कता पैदा हो। इससे स्थानीय जंगलों और संस्कृतियों को अधिक से अधिक द्वनके प्राकृतिक स्वरूप में संरक्षित किया जा सके और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सुधारा जा सके, बिना प्रकृति और संस्कृति के साथ छेड़छाड़ किए। इसी विचार ने उन्हें प्रेरित किया और राजाजी नेशनल पार्क  के निकट, हिमालय की गोद में, गंगा नदी के किनारे ऋषिकेश और हरिद्वार के निकट ‘वाइल्डब्रुक रिट्रीट’ की स्थापना की। 
वाइल्डब्रुक -जगंल के बीच से गुज़रती अल्हड़ नदी।

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मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।

आज का शब्द

मोहर Continuous hard work is the cachet of success in the life. निरंतर परिश्रम ही जीवन में सफलता की मोहर है।

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