तरह तरह के रिश्तों की
चट्टानों‚ पत्थरों और रेत से
बहकर
हर बार यह रिश्ता
और पारदर्शी
और चमकीला हुआ है
ज़रा भर कर देखो तो‚
अपनी अंजुरियों में
कैसा झिलमिलाता है
यह मानवीयता का रिश्ता !
कविताएँ
पारदर्शी
आज का विचार
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
आज का शब्द
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।