तुम कौन हो ?
मन में ढेरों ज्वार लिये
मगर यों शान्त , एक महासागर
या
एक साधना कक्ष
जहॉं प्रविष्ट होते ही
मैं सारे विकारों से परिमुक्त ,
शान्त हो जाती हूँ।
कविताएँ
साधना कक्ष
आज का विचार
ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार हैं।
आज का शब्द
ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार हैं।