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उप्र में घरेलू हिंसा कानून पर भरोसा
लखनऊ, 2 मार्च (आईएएनएस)। अपने अधिकारों व सम्मान जनक जिंदगी जीने के लिए उत्तर प्रदेश में महिलाएं तेजी से घरेलू हिंसा अधिनियम को अपना रही हैं। खास बात यह है कि इस कानून का सहारा यहां सबसे ज्यादा संपन्न परिवार की महिलाएं ले रही हैं।
वर्ष 2005 में महिलाओं को घरेलू उत्पीड़न से बचाने के लिए बने इस कानून पर उत्तर प्रदेश की औरतें भरोसा जता रहीं हैं। घरेलू हिंसा के तमाम पहलू ऐसे होते थे जो कोर्ट कचहरी के दायरे में नहीं आते थे। लिहाजा औरतें घुटन के साथ हिंसा का सामना किया करती थीं। इतना ही नहीं संपन्न परिवार की महिलायें लोक लाज के भय से न्यायालय तक अपनी पीड़ा नहीं पहुंचा पाती थी। मगर महिला कल्याण विभाग में इस अधिनियम की सहूलियत से बेझिझक ऐसे परिवारों की औरतें अपने दर्द की गुहार लगाने आ रहीं हैं।
प्रोबेशन अधिकारी एस. के. मिश्रा बताते हैं अक्टूबर 2006 से अब तक करीब 142 घरेलू हिंसा के मामले दर्ज कराये जा चुके है, इनमें 128 मामले केवल अभिजात्य परिवारों से जुड़े हुए है। उनके मुताबिक इनमें 50 फीसदी मामले मारपीट और गाली-गलौज के हैं। जबकि 20 प्रतिशत मामले दहेज के, 20 फीसदी मामले पति के खर्च न देने और 10 फीसदी मामले पति के अन्यत्र संबंध को लेकर दर्ज किए गये हैं।
उन्होंने कहा कि इन मामलों को गोपनीयता के साथ सुलझाने को लेकर काउंसलिंग की भी व्यवस्था की जा रही है। इतना ही नही पीड़ित के घर जाकर भी मामले की सही जानकारी हांसिल की जा रही है। उन्होंने कहा महिलाओं को यहां इस कानून से बेहद आस बंधी है लेकिन हम दोनों पक्षों को बात कहने का मौका देते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस |
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