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अश्क आंखों में भरकर हंसी की बात हो गम को गले लगाकर खुशी की बात हो अंधेरों से निकलने के वास्ते जरूरी है उजालों का जिक्र हो रोशनी की बात हो फ़क़त चंद रोज़ गुजरे हैं उनसे जुदा हुऐ लगता है जैसे गुजरी सदी की बात हो जिस तरफ भी देखूं बस उसी को देखूं जब भी बात हो बस उसी की बात हो बहुत हो चुकीं मंदिर मस्जिद की बातें आदमी की दुनिया में आदमी की बात हो जिंदगी के सफर में हो मौत का जिक्र क्यूं मौत के आगोश में जिंदगी की बात हो उम्र भर चलता रहेगा हालात का रोना आओ बेठो कुछ देर दिल्लगी की बात हो और भी मसाइल जरूरी हैं शायरी में कब तलक गुल चमन कली की बात हो
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