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गाओ गाओ कि जीवन गीत बन जाए! हर कदम पर आदमी मजबूर है, हर रुपहला प्यार सपना चूर है, आंसुओं के सिंधु में डूबा हुआ आससूरज दूर बेहद दूर है, गाओ कि कणकण मीत बन जाए! हर तरफ़ छाया अंधेरा है घना, हर हृदय हत वेदना से है सना, संकटों का मूक साया उम्र भर क्या रहेगा शीश पर यों ही बना? गाओ पराजय जीत बन जाए! सांस पर छायी विवशता की घुटन, जल रही है जिन्दगी भर कर जलन, विष भरे घनरजकणों से है भरा आदमी की चाहनाओं का गगन, गाओ कि दुख संगीत बन जाए!
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