सारी चीज़ें जब एक एक करके चली गयीं
नसों में काँपता रह गया
वह अनगढ़ चुम्बन
जो किसी के देख लिये जाने की
हड़बड़ाहट में लिपटा था
दरवाजे. के बाहर हज़ारों आहटें थीं
जाने कितने संदेशों और अंदेशों के साथ
जिसे अनसुना करना लगभग असंभव था
फिर भी वह आया
दरवाज़ा बंद होने के एकदम बाद
जाने कितनी परछाईयों को पता बताता
जाने कितनी आहटों की दिशा बदलता
उसके आते ही चली आयीं
कितनी चीजें एकदम भीतर
जो अब तक दिखती थीं
एक अवास्तविक संसार का हिस्सा
जिसके बीच जाने से डर लगता था
अब जाके समझ में आया
संसार के स्थायित्व का रहस्य
उसकी अनगढ़ता में है।
कविताएँ
चुम्बन
आज का विचार
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।
आज का शब्द
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।