मैं सिर्फ द्वार हूँ‚
जिनमें
तुम्हारी उम्मीदें और आशायें
प्रवेश पाती हैं
और गर्भधारण कर लौट आती हैं
और द्वारों का क्या
वो कभी भी बन्द किये जा सकते हैं।
कविताएँ
द्वार
आज का विचार
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।
आज का शब्द
जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है, यह अग्नि का दोष नहीं हैं।