तुम्हारे हाथों में मेरी कोई लकीर है तो बोलो
यूं तो आरज़ूओं का कोई घर नहीं होता
ये खानाबदोश ज़िन्दगी ले आई मुझे यहाँ
कि तेरे बिना पूरा कोई सफर नहीं होता
बुझे हुए चिराग़ों का आज क्या‚ कल क्या
कि हर रोज़ चलने वाले का कोई मंज़र नहीं होता
मैं सोच सकती हूँ‚ तुम्हें कि सोचने का क्या
हाथ जब तक न पकड़े‚ कोई रहबर नहीं होता
मिसालें मोहब्बत की‚ आयतें आशिकी की
इन बातों से तेरा तसव्वुर नहीं होता
ये मुसलसल बारिश सी तेरी याद
दिल होता है दरिया समन्दर नहीं होता।
कविताएँ
ग़ज़ल
आज का विचार
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
आज का शब्द
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।