आइना देखना याद नहीं रहता अब
दाढ़ी बनाते वक्त भी
चेहरा दिखता नहीं अक्सर

लोगों का मुकाबिल होना ही
बताता रहता है खुद की बाबत

झूठी प्रशंसाएं भी
बताती हैं कुछ -कुछ

हाथों की पकड़ मुकम्मल है
पांव खूबसूरत हैं वैसे ही
उन्हें तो आइने की जरूरत नहीं पड़ी कभी
सोलह के वय के छोटे बेटे से पंजे लड़ाता
खुश होता हूं कि उस उम्र में मुझमें
कहां था यह बांकपन

चश्मे का नंबर बढ़ता जा रहा
पर दृश्य अब भी उद्वेलित करते हैं वैसा ही

किसी बात को पकड़कर
लडकियां कहती हैं जब-तब
कि अब
उम्र हो रही आपकी

तो
हंसता हुआ कहता हूं
हां, यह तो है…
आमिर-शाहरुख का हमउम्र हूं आखिर।  

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आज का विचार

जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।

आज का शब्द

जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।

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