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गाँधीवाद

एक दिन गाँधीवाद पर बहस हो रही थी
हमारा विचार था ­
हम गाँधीवाद से दूर जा रहे हैं
कुछ लोग कहते थे
“गाँधीवाद अब दूर नहीं”
मैंने सोचा ­
शायद मैं ही गलत सोचता हूँ
कुछ दिन बाद वस्त्रों के दाम बढ़ने से
लोग लंगोटी पहनेगे।
और जब भूख और मंहगायी कमर तोड़ देगी
तो लाठी का सहारा लेंगे
फिर लोग उसी को
गाँधीवाद कहेंगे।

हर्ष कुमार
 

 

रेत
समुद्र तट पर
दूर तक फैली रेत
कितनी सुन्दर दिखती है
साथ ही कितनी निरीह लगती है
जब चले जाते हैं  उसे रौद कर
बच्चे बूढ़े पशु­पक्षी सभी जानवर
अपनी छाप छोड़ते हुए।
आपने देखा –
यह भी अपना अस्तित्व रखती है
वजूद है इसका अपना ।
मिटा कर साफ कर देती है Ê
कभी टिकने नहीं देती यह
अपने उपर
किसी के निशान  कोई भी छाप।

हर्ष कुमार
 

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