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तुम बनो
गीत तुम्हें गुनगुना लूं अब तो
मिलना नहीं आसां चलो यूं कर लें आग के
दरिया में देखा है लहू आदम का ये है
मालूम कि आएगा नहीं कोई यहां वक्त
हाथों में बन्द रेत सा कब का सरका
अरविंद असिया
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