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पद्म की आकांक्षा

आजकल मै उम्मीद से भरा हुआ हूँ, और मुझे लगने लगा है कि मुझे आज नही तो कल पद्म पुरस्कार मिल कर रहेगा ! दरअसल मै चाहता हूँ कि मै यथाशीघ्र किसी पद्म से नवाज़ा जाऊँ अब यह सरकार की मर्ज़ी है कि वो मुझे किस श्रेणी में पद्म देना चाहेगी, पर उसके लिये सबसे ज्यादा आसान होगा कि मुझे रजत शर्मा की ही तरह साहित्य और शिक्षा के लिये ही दे डाले !
साहित्य पर जोर इसलिये है कि यदि सरकार चाहे तो आपके कुछ भी लिखे या ना लिखे को साहित्य घोषित कर सकती है, वो चाहे तो आपके द्वारा भविष्य मे साहित्य रचे जाने की सँभावना को देखते हुये भी आपको इससे सम्मानित कर सकती है, मै इस मामले मे अपने आपको रजत शर्मा से उन्नीस नही मानता, मै भी उन्हीं के स्तर का साहित्य सृजक हूँ, मेरे द्वारा भी उनकी तरह ही साहित्य की विशिष्ट सेवा की जाना शेष है .सच तो यह है कि इस मामले मे मुझे उनसे बीस ही गिना जाना चाहिये, कभी भी, किसी पर भी और कुछ भी लिखने मे मेरी अधिकारिता वैसै भी जग जाहिर है, मेरे पास खुद को पद्म के लिये हक़दार घोषित करने की यह पर्याप्त वजह है, देखिये अब तक मै फ़ेसबुक के सैकड़ों पेज काले कर चुका हूँ, और आगे भी यह करता रहूँगा यह भी तय है ! भले ही आप और आप जैसै बहुत से ईष्यालु विद्वजन इसे कूडा करकट टाईप का अगँभीर लेखन माने पर मुझे लगता है कि यह अत्यन्त लोक कल्याणकारी, साहित्यिक सृजन कर्म है, और जब मुझे ऐसा लगता है तो बहुत से ऐसे भी होगे जो मुझसे सहमत होगें, इस बिना पर मै अपने आपको पुरूस्कृत किये जाने के लिये उपयुक्त और पात्र उम्मीदवार घोषित करता हूँ !

इसी क्रम मे शिक्षा मे मेरे विशिष्ट योगदान को विस्मृत कर जाना भी मेरे साथ अन्याय ही होगा, जब तक मै विद्यार्थी रहा मेरे शिक्षक मेरे ज्ञान से सदैव आतंकित बने रहे, मेरे कक्षा मे होते हुये वे कभी कक्ष मे प्रवेश करने का साहस जुटा नही सके, यदि मे और अधिक पढने का निर्णय लेता तो यह शिक्षा जगत के लिये घातक हो सकता था ज्यादा ना पढने के मेरे निर्णय ने शिक्षा जगत को उपकृत ही किया है ऐसा मै मानता हूँ और मै चाहता हूँ कि सरकार भी इसे माने !

फिर यदि आपको लगता है कि मैने कभी भी साहित्य जैसा कुछ भी लिखा नही है या शिक्षा के लिये मुझे पद्म दिये जाने से पढ़े लिखे बुरा मान सकते हैं तो भी सरकार मुझे और भी दूसरे बहुत से पद्म वीरो की तरह ही कभी कुछ ना करने के लिये भी पद्म दे सकती है, पिछले सत्ताईस साल से बतौर सरकारी अधिकारी शासकीय सेवा करने के कारण मै कुछ ना करने के क्षैत्र मे प्रतिमान स्थापित कर ही चुका हूँ मेरी इस विशेषता को भी मुझे पद्म पुरूस्कार मिलने के लिये अह्रता ही मानी जाना चाहिये !

मै नही जानता कि पद्म पुरस्कारों के लिये खुद को ही नामांकित किया जाना विधिसम्मत है या नही, शायद नही ही होगा फिर भी मै चाहता हूँ कि भविष्य मे सरकार जब भी पद्म बाँटना चाहे मेरे नाम पर विचार अवश्य कर ले, मै पद्म लेने के लिये निसंकोच सहर्ष प्रस्तुत हूँ !
 

-मुकेश नेमा

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