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इधर सुनो : कुछ कविताएं ।। नौ ।। इधर सुनो थोडी ताकीद रखा करो तुम कोई और न पढ पाएं तुम्हारे लिए लिखे मेरे शब्द
वैसे पढ भी लें अगर कोई इन शब्दों को नहीं समझ पाएगा वह इनका वह अर्थ जो पहुंचता है तुम तक
।। दस ।। इधर सुनो थक गया हूं मैं अब लगातार बोलते-बोलते
तुम ऐसा करना मेरे पिछले शब्दों की धूल झांडकर फिर-फिर से सुन लेना उन्हें
कहीं एकरसता ना हो उनमें निकाल लेना अपनी मर्जी से अपना कोई मनचाहा अर्थ इधर सुनो पर खुश रहना तुम मेरे पिछले शब्दों को सुनकर -राकेश श्रीमाल
पूरी श्रृंखला
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इधर सुनो
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