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पिघल रही है बर्फ़
पिघल रही है बर्फ़
इस्तेमाल कर उसे उपटन का सा
आ रही हवा सर्द नहाई
पहाड़ों ने दाँत भींचे
ठिठुरे कँपकँपाए मैदान
खाली आँतें लक्कड़ हुईं रातोंरात
सुबह चीड़घर के लिए तैयार

पिघल रही है बर्फ़
बाढ़ यही है
फर्श पर भागती चींटियों की क़तार वास्ते
पुराना हुआ कम्प्रेसर
या फ्रीज़र पुराना
या कोई और समस्या
मिस्त्री बेहतर बताए

पिघल रही है बर्फ़
फ़र्ज़ी लकीरों के इधर-उधर के
दो आका गले मिल रहे
दो सीनों के बीच का गुनगुना हो गया लावा
खलबली फिर है मतलबपरस्तों में
वो फिर जुटे लहूलुहान करने
नोंचने में खम्भों को

हाँ बर्फ़ पिघल रही है
नरम पड़ रहे हम-तुम
समय के इस्पाती कंकाल में बिंधे
आ रही रिश्तों में मुलामियत
सुनहरी हो रही मुस्कराहट
घुल रहे दर्प
चाय की चुस्कियों में
 

- दीपक मशाल

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