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लाल साहब                                  तीसरा पन्ना

'' ये गोबर किसने बनाया है।'' श्रीनाथ अपेक्षाकृत साहसी है और उसने कह ही डाला। अम्मा छाती फुला कर बोलीं  सम्पदा ने।
''
सम्पदा ने! इसे पता है कि किचन का दरवाजा है कहाँ?''
बाबूजी ने मिजाजपुरसी की चलो चलो खाओ। बहुत बढिया सब्जी बनी है। पहला प्रयास ऐसा ही होता है।
''
प्रयास का यही स्तर रहा तो मेरी स्वाद ग्रंथियां निष्क्रिय हो जाएंगी।'' श्रीनाथ की बात पर सभी सदस्य दबी दबी हंसी हंसने लगे। पीछे से एक हँसी सुनाई दी जो सम्पदा की थी। उसे हँसते देख सदस्यों ने खुल कर हंस लेने का साहस संजो लिया। शाम को उपमन्यु पढाने आया तो उसकी दृष्टि सबसे पहले लाल साहब की सुर्ख हथेली पर पडी।
''
ये क्या? '' कह कर उसने न जाने किस तरंग में उसकी कमल नाल सी कलाई पकड ली। उस क्षण सम्पदा का सब कुछ हरण हो गया। उपमन्यु की ऊष्ण हथेली की दृढता ने सम्पदा को भीतर तक मथ डाला।
प्रकंपित कण्ठ से बोल फूटा सब्जी बना रही थी, जल गई।
''
ओह खाना तुम बनाती हो? और ये नीरजा लोग?'' कहते हुए उपमन्यु ने जिस त्वरा से कलाई पकडी थी उसी त्वरा से छोड दी। एकाएक लगा भावुकतावश अनायास उससे ये चेष्टा हो गई। उस छोटी सी गोल मेज के उस ओर बैठी सम्पदा के नेत्रों में सलज्ज भाव तारी था।
''
नहीं खाना मैं नहीं बनाती। न जाने क्यों कल आपकी बात सुन कर इच्छा हुई कि मैं भी कुछ सीखूँ।''
''
सीखो, मगर प्यार से।''

दोनों की समवेत हँसी कक्ष में गूंज उठीअध्ययन अध्यापन और लीला लाल साहब को जो इन्द्रधनुषीय अनुभूति इस समय हो रही है, कभी न हुई थीवे चकित हैं कि प्यार जैसी महान उपलब्धि के बारे में उन्होंने अब तक कैसे नहीं सोचाइस प्रेम रसायन ने उनके र्दुव्यवहार को सद्व्यवहार में बदल डालानीरजा तो उनकी विशेष कृपा पात्र बन गईलालसाहब कभी कभी नीरजा के कमरे में आकर उसका एलबम देखने लगते हैंइस एलबम में उपमन्यु के बहुत से फोटो हैंलाल साहब उन फोटो पर न्यौछावर हो जातेभाभी सर आपके मौसेरे भाई हैं न!
''
हाँ हम चार बहने हैं, भाई की कमी उपमन्यु भाई पूरी कर देते हैंकोई भी काम हो हाजिर'' नीरजा के हाथ एक गति और लय से स्वेटर बुन रहे हैंसर का स्वभाव सबसे अलग है स्टूडेन्ट्स उन्हें इतना पसंद करते हैं कि पूछो मतअपने विषय पर उन्हें अच्छा कमाण्ड है
लाल साहब उपमन्यु के बारे में बहुत कुछ कहना सुनना चाहते हैं

'' बाकि सब ठीक है पर लापरवाह बहुत है
ठण्ड आ रही है पर भाई अपने लिये स्वेटर तक न खरीदेंगेये एक बनाए दे रही हूँ।''
'' ये सर के लिये है! सफेद रंग उनको बहुत सूट करता है
'' लाल साहब अधबने स्वेटर की सतह पर कोमलता से हाथ फेरने लगे कॉलेज प्रांगण में कई बार देखा सर का श्वेत धवल बिम्ब आज भी आँखों में कैद हैसम्पदा का मुग्ध नायिका का सा रूप देख कर नीरजा सोच में पड ग़ईओह ये तो सचमुच ही प्यार के हिंडोले में झूल रही है

शाम को खाना तैयार करते हुए तीनों भाभियों में खुसुर पुसुर हुईजीजी, लाल साहब तो गये काम से प्रेम के दरिया में डूब रहे हैं स्वेटर ऐसे सहला रहे थे जैसे उपमन्यु की पीठ होनीरजा दीदे फाडे बोली
''तभी क
हूँ पॉप की जगह - मोहे पनघट पे नन्दलाल छेड ग़यो रे, क्यों सुना जाने लगा हैभागवंती ने चुहल की
कुमकुम ने कपाल थामा एक और असफल प्रेम कहानी
बाबूजी किसी आई ए एस लडक़े से चर्चा चला रहे हैं और इधर लाल साहब मास्टर से नैना लडा रहे हैं
'' अब प्रेम प्यार ओहदा देख के नहीं होता कुमकुम
जिस पर दिल आ गया तो आ गया और फिर लाल साहब का शाही दिल हम तो सोचते थे कि इनके पास दिल ही नहीं हैअब तो इनका बियाह हो जाए तो तनिक घर में शांति बहाल होभागवंती की बात सुन कर नीरजा मलिन पड ग़ईतुम्हें शांति की लगी है, जीजी मेंरे गरीब भाई के लिये भी तो जरा सोचोबाबूजी को पता चला तो लाल साहब को तो कुछ न कहेंगे सारा दोष मेरे भाई पर थोपा जाएगा
'' प्रेम किया है तुम्हारे भाई ने तो परीक्षा भी देनी पडेग़ी
अरे नीरजा प्रेम प्यार में थोडी बहुत मशक्कत न हो तो प्यार कैसाप्यार में नहर खोदनी पडती है नहर'' भागवंती लालसाहब के घर से टलने की सोच से उमगी पडती है
 नहर खोदने की दुखद स्थिति नहीं आएगी
बाबूजी अपनी इस दुलरुआ की कोई बात टालें उनमें इतना दम नहीं है वरना लाल साहब आसमान पर पैर न टिकातेमैं तो इसी में प्रसन्न हूँ कि लाल साहब इस समय बडे ख़िले खिले, महके महके दिखते हैंहम लोगों से दो चार बातें कर लेते हैंतुम बेकार चिन्ता करती हो जिस घर के लाडले को लालसाहब पत्नी रूप में प्राप्त होंगे उसके ठाठ के क्या कहनेकुमकुम ने नीरजा की हौसला अफजाई की

सफेद स्वेटर में उपमन्यु बहुत अच्छा लग रहा थानीरजा स्नेह से बोली- आज तो लगता है भाई तुम्हारी नजर उतार दूं
'' नजर मेरी नहीं इस स्वेटर की उतारना नीरजा
सारा कमाल तो इस स्वेटर का है'' कह कर उपमन्यु किसी मॉडल की तरह पॉज बना बना कर विभिन्न कोणों से नीरजा को दिखाने लगा
'' ये क्या लटक मटक रहे हो, तुम्हारी शिष्या सामने बैठी है
कुछ तो गंभीर बनो'' नीरजा ने झिडक़ा
'' वो हमसे न होगा बहन जी
कॉलेज में गम्भीरता दिखाते दिखाते गर्दन अकड ज़ाती है, यहाँ तो रिलैक्स रहने दो'' कह कर उपमन्यु सम्पदा से सम्बोधित हुआशिष्या जी आपको कोई आपत्तिमंद मुस्कान के साथ लालसाहब ने अस्वीकार में गर्दन
हिला दी

'' नीरजा स्वेटर के लिये छोटा सा धन्यवाद लो और सटको
यहाँ सेहमें पढाना है'' उपमन्यु की बात सुन उसे संदिग्ध भाव से
देखती नीरजा जाने को उध्दत हुई

'' भाभी चाय प्लीज
'' लाल साहब मचल गये
'' भेजती
हूँ।''

नीरजा चाय बनाने चली गईइधर लाल साहब उपमन्यु को निहार रहे हैं जो स्वेटर पहन कर बच्चों सा किलक रहा है नीरजा ने तो आज तबियत खुश कर दीअच्छा चलो देखो कल क्या पढ रहे थे हम?'' उपमन्यु पढाने लगा पर सम्पदा का ध्यान पुस्तक में नहीं है उसे तो अब तक ज्ञात नहीं था कि सृजन की कोई सराहना करे तो कितना सुख मिलता हैवह भाईयों के सराहना करने को चोंचले और भाभियों के खुश होने को नखरे समझती थीवह भी सीखेगी स्वेटर बनानासर को जो भी पसन्द है वह सब करेगी
दूसरे दिन सबने देखा कि कॉलेज से लौटते हुए लाल साहब बाजार से ऊन सलाई लाए हैं और अपने कमरे में बैठे ऊन सलाई से लड रहे हैं

यह देख कर भागवंती  च्च..च्च.. उच्चारते हुए कुमकुम के कान के पास जाकर बोली, '' प्रेम में पड क़र लाल साहब का बुरा हाल हैपढाई करें, खाना बनाना सीखें या स्वेटर बुनना सीखें या सर की राह ताकें'' भागवंती और कुमकुम के मध्य खूब फुसफुसाहट होती पर नीरजा से ये प्रेमप्रकरण न उगलते बनता न निगलतेउसे रह रह कर उपमन्यु पर क्रोध आताउधर स्वेटर सीखती हुई पुत्री के आस पास डोलती अम्मां बावरी सी हुई जाती हैं कि पुत्री का स्वास्थ्य तो ठीक हैबाबूजी चमत्कृत हैं कि लडक़ी राह पर आ रही हैलडक़ी लाख प्यारी है पर उसके हाथ पीले करके गंगा तो नहाना ही पडेग़ाराजा महाराजा तक तो अपनी पुत्रियों को घर नहीं रख पाये उनके पास तो नाम के ठकुरईसी हैबात चल रही हैठीक ठाक जम जाए तो इसी गर्मी में ब्याह कर देंगे

वस्तुत: इकलौती लक्ष्मी सी पुत्री को बहुत दुलार देते हुए भी बाबूजी ने नहीं सोचा था वह इस तरह हठीली, तुनक मिजाज, ख़ुर्राट हो जाएगीछूट का अनावश्यक लाभ लेगी, जब भी कभी उसे उसके व्यवहार के लिये समझाना चाहा वह सुबकने लगती, चीखने लगती या भूखहडताल कर देतीफिर निरुपाय बाबूजी उसे मनाने में लग जातेउसी पुत्री में हरिकृपा से अपेक्षित सुधार हो रहा है और बाबूजी हतप्रभ, चमत्कृत! यह देख कर कि सम्पदा जीन्स शर्ट के स्थान पर सलवार कुर्ता पहनने लगी हैकिसी बलात्कार की घटना की चर्चा चलने पर कभी उपमन्यु ने कहा था - सम्पदा ऐसी घटनाओं के लिये पुरुष तो जिम्मेदार है ही पर लडक़ियां भी पूर्णत: निर्दोष नहीं होतींलडक़ियों का पहनावा, बोलचाल, रहन सहन, अभिरुचियां सभी अमर्यादित होता जा रहा हैये आधुनिकता के नाम पर शालीनता भूल रही हैंहम आंकडे देखेंगे तो पाएंगे छेडछाड क़ी घटनाएं ऐसी ही लडक़ियों के साथ अधिक होती हैं। हाँ कुछ लडक़ियां परिस्थितियों का भी शिकार हो जाती हैं और निरपराध होते हुए भी कलंकित हो जाती हैं''
'' सर आपको किस तरह की लडक़ियां पसन्द हैं? '' वह बुदबुदाई

'' मुझे! सीधी, शांत और शालीन
ऐसी लडक़ियों के साथ सामंजस्य में कठिनाई नहीं होती'' कह कर वह तनिक मुस्कुराया, '' तुम हमारे सौन्दर्य बोध को नहीं जानतीहम तो चेहरा देख कर बता देते हैं कि किसके उपर क्या सूट करेगासोचता हूँ तुमपर सादे लिबास जितने अच्छे लगेंगे उतने ये आधुनिक लिबास नहीं''
'' सच सर
''
'' मैं स्पष्टवादी
हूँ। न झूठ बोलता हूँ न मुंहदेखी'' उपमन्यु ने सम्पदा के भाल पर छितरा आई अलकें तर्जनी से पीछे कर दीं
'' इन केशों को कायदे से बांधो फिर देखो अपना रूप
'' आत्मविस्मृत अवश सम्पदा ने केश पीछे करते सर का हाथ बहुत कोमलता से थाम लिया सर आपकी इसी सादगी ने तो मुझे ऐसा अधीर बना डाला हैआपकी बातों में इतना सुख मिलता है कि जी करता है आप बोलते रहें मैं सुनती रहूं

कैसा अपूर्व और अनिंद्य था सम्पदा का वह समर्पित रूपबालिका सा निश्छल, निर्दोष, ताजाउपमन्यु को लगा इस लडक़ी का हृदय दर्पण सा निर्मल है बस अज्ञानतावश परिस्थितियों का अनावश्यक लाभ लेती गई हैउसकी श्वेत सुकोमल हथेलियों पर तनिक दबाव डाल बोलासम्पदा संभालो स्वयं को वरना मैं कच्ची मिट्टी के लौंदे सा ही ढह जाउंगातुम मुझे उसी दिन से अच्छी लगने लगी थी जब तुम नीरजा को देखने आई थींमुझे जैसे एक नया उत्साह, नयी ऊर्जा, नयी ऊष्मा मिली थीफिर जब तुम्हारे ठाट बाट देखे तो लगा कि मैं आकाश कुसुम की चाह कर बैठा हूँ। तुम बहुत रहीस पिता की इकलौती पुत्री होउन्होंने तुम्हारे लिये बहुत कुछ सोच रखा है वे तुम्हारा विवाह ऐसे व्यक्ति से करेंगे जो तुम्हें राजसी ठाट बाट दे सके
'' आपसे मिलने के बाद मुझे किसी राजसी ठाट बाट की कामना नहीं रही
मैं इन दिनों स्वयं को जितना हल्का, स्फूर्तियुक्त, तनावमुक्त, प्रसन्नचित्त पाती हूँ उतना पहले कभी नहीं पायाआपके सरल स्वभाव को देखकर लगा कि मेरी अकड व्यर्थ हैमैं क्यों पूरे घर पर शासन करना चहती हूँ जबकि घर के सभी सदस्य उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितनी कि मैंसच कहूँ सरतो मैं ने जब भाभियों, बच्चों में घुल मिल कर जो आनंद पाया वह स्वयं को प्रमुख घोषित करके कभी नहीं पायामैं अपने कवच से बाहर आना चाहती हूँ। आपसे मुझे नई दृष्टि मिली हैअब मैं आपके अतिरिक्त किसी अन्य के विषय में नहीं सोच सकती''
मंत्रमुग्ध उपमन्यु सम्पदा का वह क्षमाप्रार्थी रूप देखता रहा
निर्निमेषवे एक दूसरे के भावों को समझते थे पर इस तरह स्पष्ट सम्पदा कभी नहीं बोली थीउपमन्यु स्पष्ट महसूस कर रहा था कि लाल मिर्च सी लडक़ी मिश्री की डली सी मीठी हो गयी है

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